जयपुर में संजय लीला भंसाली की 'लीला' सूजा दी लठ मार मार कर !
इसके पीछे का कारण पढिये-
ये 25 अगस्त 1303 ई० की भयावह काली रात थी ...स्थान मेवाड़ दुर्ग राजस्थान ....राजा रतन सिंह जी की रियासत ...राजा रतन सिंह की धर्मपत्नी रानी पद्मावती सहित 200 से ज्याद राजपूत स्त्रियाँ उस दहकते हवन कुंड के सामने खड़ी थी .....दुर्दांत आक्रान्ता अल्लौद्दीन खिलजी दुर्ग के बंद द्वार पर अपने सेना के साथ खड़ा था .....अलाउद्दीन वही शख्स था जो परम रूपवती रानी पद्मावती को पाना चाहता था और अपने हरम की रानी बना कर रखना चाहता था ....रानी पद्मावती को प्राप्त करने के लिए उसने दो बार मेवाड़ पर हमला किया ...लेकिन वीर राजपूतों के आगे उसकी सेना टिक ना सकी ...लेकिन इस बार मामला उलट चूका था .....अलाउद्दीन लम्बी चौड़ी सेना के साथ मेवाड़ के दुर्ग के बाहर अपना डेरा दाल चूका था ....ज्यादा तर राजपूत सेना वीरगति को प्राप्त हो चुकी थी......सबको समझ में आ चूका था की अब इन हरामियों से बचना मुस्किल हैं ..मुस्लमान ना सिर्फ युद्ध में हिन्दू राजाओं को मरते थे बल्कि उनकी औरतों को साथ बलात्कार भी करते और अंत में उन्हें गजनी के मीना बाज़ार लाकर बेच दिया जाता था .....तभी एक तेज़ आवाज के साथ मुस्लमान सैनिकों ने दुर्ग का विशाल दरवाजा तोड़ दिया ..मुस्लिम सेना तेज़ी से महल की तरफ बढ़ चली ..जहाँ पर महान जौहर वव्रत चल रहा था वो महल का पिछला हिस्सा था .....राजपूत रणबाकुरों का रक्त खौलने लगा ..तलवारे खीच गयी मुट्ठियाँ भीच गयी ..हर हर महादेव के साथ 500 राजपूत रणबाकुरे उस दस हज़ार की मुस्लिम सेना से सीधे भिड गये ...महा भयंकर युद्ध की शुरुवात हो गयी जहाँ दया और करुणा के लिए कोई स्थान नहीं था ..हर वार एक दुसरे का सर काटने के लिए था ....नारे ताग्बीर अल्लाहो अकबर और हर हर महा देव के गगन भेदी नारों से मेवाड़ का नीला आसमान गूँज उठा ......हर राजपूत सैनिक अपनी अंतिम सांस तक लड़ा ..मुसलमानों के रास्ते में जो भी औरतें आई ..उसने साथ सामूहिक बलात्कार किया गया ..अंत में वो कालजयी क्षण आ गया जब महान सुन्दरी और वीरता और सतीत्व का प्रतीक महारानी पद्मावती उस रूई घी और चंदन की लकड़ियों से सजी चिता पे बैठ गयी ..बची हुइ नारियां अपने श्रेष्ठतम वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित थी.....अपने पुरुषों को अश्रुपूरित विदाई दे रही थी....अंत्येष्टि के शोकगीत गाये जा रही थी. महिलाओं ने रानी पद्मावती के नेतृत्व में चिता की ओर प्रस्थान किया.....और कूद पड़ी धधकती चित्ता में....अपने आत्मदाह के लिए....जौहर के लिए....देशभक्ति और गौरव के उस महान यज्ञ में अपनी पवित्र आहुति देने के लिए. जय एकलिंग.......,आकाश हर हर महादेव के उदघोषों से गूँज उठा था.....आत्माओं का परमात्मा से मिलन हो रहा था.
अगस्त 25, 1303 ई ० की भोर थी,.चिता शांत हो चुकी थी .....राजपूत वीरांगनाओं की चीख पुकार से वातावरण द्रवित हो चूका था .....राजपूत पुरुषों ने केसरिया साफे बाँध लिए....अपने अपने भाल पर जौहर की पवित्र भभूत से टीका किया....मुंह में प्रत्येक ने तुलसी का पता रखा....दुर्ग के द्वार खोल दिए गये....हर हर महादेव कि हुंकार लगाते राजपूत रणबांकुरे मेवाड़ी टूट पड़े अलाउदीन की सेना पर......हर कोई मरने मारने पर उतारू था ....दया का परित्याग कर दिया गया ..मुसलमानों को उनकी औकात दिखा दी गयी .....राजपूतों रणबाकुरों ने आखिरी दम तक अपनी तलवारों को मुस्लिम सैनिको का खून पिलाया और अंत में लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गये. अल्लाउद्दीन खिलज़ी की जीत उसकी हार थी, क्योंकि उसे रानी पद्मिनी का शरीर हासिल नहीं हुआ, मेवाड़ कि पगड़ी उसके कदमों में नहीं गिरी. चातुर्य और सौन्दर्य की स्वामिनी रानी पद्मिनी ने उसे एक बार और छल लिया था.
अगस्त 25, 1303 ई ० की भोर थी,.चिता शांत हो चुकी थी .....राजपूत वीरांगनाओं की चीख पुकार से वातावरण द्रवित हो चूका था .....राजपूत पुरुषों ने केसरिया साफे बाँध लिए....अपने अपने भाल पर जौहर की पवित्र भभूत से टीका किया....मुंह में प्रत्येक ने तुलसी का पता रखा....दुर्ग के द्वार खोल दिए गये....हर हर महादेव कि हुंकार लगाते राजपूत रणबांकुरे मेवाड़ी टूट पड़े अलाउदीन की सेना पर......हर कोई मरने मारने पर उतारू था ....दया का परित्याग कर दिया गया ..मुसलमानों को उनकी औकात दिखा दी गयी .....राजपूतों रणबाकुरों ने आखिरी दम तक अपनी तलवारों को मुस्लिम सैनिको का खून पिलाया और अंत में लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गये. अल्लाउद्दीन खिलज़ी की जीत उसकी हार थी, क्योंकि उसे रानी पद्मिनी का शरीर हासिल नहीं हुआ, मेवाड़ कि पगड़ी उसके कदमों में नहीं गिरी. चातुर्य और सौन्दर्य की स्वामिनी रानी पद्मिनी ने उसे एक बार और छल लिया था.
ये खुनी रात की वो कहानी है जिसे किसी इतिहास में हमे नहीं पढ़ाया जाता ......एक वीरांगना के इस अतुल्य बलिदान पर बॉलीवुड का माधरचोद रंडी की औलाद संजय लीला भंसाली फिल्म बना रहा है जिसका थीम है अलाउद्दीन और रानी पद्मावती का प्रेम ......अबे माधर चोद रंडी के जाने सांय लीला भंसाली ..अबे तुम क्या जानो रानी पद्मावती क्या थी बे ??? रंडी के जाने एक ऊँगली में आग लग जाती है तो दस दिन अपनी अम्मी के भोसड़े में छिपे रहते हो ...और तुम माधरचोद खिलजी की वासना और दुश्चरित्रता को एक प्रेमकहानी दिखा रहे हो ??
ऐ महा हरामज्यादे संजय लीला भंसाली ..मुसलमानों के हरम से निकली औलाद सुन ..तू एक हिन्दू पतिव्रता स्त्री की शक्ति को कदाचित पहचनता नहीं है .....आज अवसर और परिस्थितियाँ मेरे बस में नहीं हैं ..नहीं तो मै ये पोस्ट नहीं लिखता दोगले सीधे महानगरी एक्सप्रेस पकड़कर मुंबई आता और तेरे फ्लैट पर ही आकर तेरे दो टुकड़े कर देता ..लेकिन टू चिंता ना कर आज नहीं तो कल तुझे जोधा अकबर और पद्मावती को बनाने के लिए सजा मिलेगी ..जरुर मिलेगी!
रानी पद्मावती भारतीय महिलाओं की आदर्श है किसी कटमुल्ले की माशूका नही
😡
😡
भंसाली शुक्र मान #राणा_की_धरती से सिर्फ थप्पड़ों में निकल गया..क्योंकि पीड़ा यह है कि सिर्फ करणी सेना ही इसका विरोध कर रही थी संपूर्ण हिन्दू समाज नहीं और उससे भी बड़ी पीड़ा यह है कि तुझ जैसा भड़वा भी हिन्दू समाज का ही सेक्युलर कुत्ता है जो ऐसी बकवास सोच रख के उसे फिल्म में उतारता है ।।
#Boycott_Bhansali
#Boycott_AntiHindu


भंसाली शुक्र मान #राणा_की_धरती से सिर्फ थप्पड़ों में निकल गया..क्योंकि पीड़ा यह है कि सिर्फ करणी सेना ही इसका विरोध कर रही थी संपूर्ण हिन्दू समाज नहीं और उससे भी बड़ी पीड़ा यह है कि तुझ जैसा भड़वा भी हिन्दू समाज का ही सेक्युलर कुत्ता है जो ऐसी बकवास सोच रख के उसे फिल्म में उतारता है ।।
#Boycott_Bhansali
#Boycott_AntiHindu
कृपया भाषा संयमित करे ऐसा उपदेश कोई नही दे
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संवत १३०१ यानी १३ वि सदी में चित्तोड़ की महा रानी पद्मवाती ( पद्मिनी ) ने अल्लुद्दीन खिलजी के नाम एक चिठ्ठी " जोहर " करने के समय लिखी थी। अरे ओ दुष्ट , ओ पापी , तू इस सूरत को कभी पा नहीं सकता , ये भोजन है " शेर " का , कुत्ता जिसे खा नहीं सकता। जिस पद्मावती को अल्लुद्दीन खिलजी ने छुआ तक नहीं है , रूबरू देखा तक नहीं हैं ( इतिहास के आधार पर ) उन दोनों में प्रेम कैसे हो सकता है जो ये चूतिया " संजय भन्साली " दिखा रहा हैं ?? मैं " करनी सेना " के सभी राजपूतो को धन्यवाद देता हु इस " शुभ कार्य " करने के बदल। आगे कोम्युनिष्ट पार्टी और जितने " मादर चोदो " ने हमारे गौरव शाली इतिहास को मलिन किया है और मलिन करने की कोशिशें करते है , उन्हें ऐसा मारो की उनकी आने वाली सात पीढियो को इतिहास का सच्चा ज्ञान रहे। जय हो हिन्द की राजपूतानिया की। जय हिन्द। जय हो करनी सेना की।L
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संवत १३०१ यानी १३ वि सदी में चित्तोड़ की महा रानी पद्मवाती ( पद्मिनी ) ने अल्लुद्दीन खिलजी के नाम एक चिठ्ठी " जोहर " करने के समय लिखी थी। अरे ओ दुष्ट , ओ पापी , तू इस सूरत को कभी पा नहीं सकता , ये भोजन है " शेर " का , कुत्ता जिसे खा नहीं सकता। जिस पद्मावती को अल्लुद्दीन खिलजी ने छुआ तक नहीं है , रूबरू देखा तक नहीं हैं ( इतिहास के आधार पर ) उन दोनों में प्रेम कैसे हो सकता है जो ये चूतिया " संजय भन्साली " दिखा रहा हैं ?? मैं " करनी सेना " के सभी राजपूतो को धन्यवाद देता हु इस " शुभ कार्य " करने के बदल। आगे कोम्युनिष्ट पार्टी और जितने " मादर चोदो " ने हमारे गौरव शाली इतिहास को मलिन किया है और मलिन करने की कोशिशें करते है , उन्हें ऐसा मारो की उनकी आने वाली सात पीढियो को इतिहास का सच्चा ज्ञान रहे। जय हो हिन्द की राजपूतानिया की। जय हिन्द। जय हो करनी सेना की।L
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