Monday, 26 December 2016

जब दशम् गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज ने राष्ट्र के लिए एक हफ्ते में अपने 4 – 4 बेटे बलिदान कर दिए

इतिहास में बहुत कम मिसालें मिलेंगी ……. जब किसी बाप ने कौम के लिए ……. राष्ट्र के लिए …….. एक हफ्ते में अपने 4 – 4 बेटे बलिदान कर दिए हों ।
आज पूस का वो आठवां दिन था जब दशम् गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के दो साहबजादे चमकौर साहब के युद्ध में बलिदान हो गए । बड़े साहबजादे श्री अजीत सिंह जी की आयु मात्र 17 वर्ष थी । और छोटे साहबजादे श्री जूझार सिंह जी की आयु मात्र 14 वर्ष थी ।
सिखों के आदेश (गुरुमत्ता) की पालना में गुरु साहब ने गढ़ी खाली कर दी और सुरक्षित निकल गए ।
पिछली रात माता गूजरी दोनों छोटे साहिबजादों के साथ गंगू के घर पे थीं ।
उधर चमकौर साहिब में युद्ध चल रहा था और इधर गनी खां और मनी खां ने माता गूजरी समेत दोनों छोटे साहिबजादों को गिरफ्तार कर लिया ।
अगले दिन यानि पूस की 9 को उन्हें सरहिंद के किले में ठन्डे बुर्ज में रखा गया ।
10 पूस को तीनों को नवाब वजीर खां की कचहरी में पेश किया गया ।
शर्त रखी …….इस्लाम कबूल कर लो ……वरना …….
वरना क्या ?????
मौत की सज़ा मिलेगी ……
पूस का 13वां दिन ……. नवाब वजीर खां ने फिर पूछा ……. बोलो इस्लाम कबूल करते हो ?
छोटे साहिबजादे फ़तेह सिंह जी आयु 6 वर्ष ने पूछा ……. अगर मुसलमाँ हो गए तो फिर कभी नहीं मरेंगे न ?
वजीर खां अवाक रह गया ……. उसके मुह से जवाब न फूटा …….
तो साहिबजादे ने जवाब दिया कि जब मुसलमाँ हो के भी मरना ही है तो अपने धर्म में ही अपने धर्म की खातिर क्यों न मरें ……..
दोनों साहिबजादों को ज़िंदा दीवार में चिनवाने का आदेश हुआ ।
दीवार चीनी जाने लगी । जब दीवार 6 वर्षीय फ़तेह सिंह की गर्दन तक आ गयी तो 8 वर्षीय जोरावर सिंह रोने लगा ……..
फ़तेह ने पूछा , जोरावर रोता क्यों है ?
जोरावर बोला , रो इसलिए रहा हूँ कि आया मैं पहले था पर कौम के लिए बलिदान तू पहले हो रहा है ……
उसी रात माता गूजरी ने भी ठन्डे बुर्ज में प्राण त्याग दिए ।
गुरु साहब का पूरा परिवार ……. 6 पूस से 13 पूस …… इस एक सप्ताह में ……. कौम के लिए …… धर्म के लिए …… राष्ट्र के लिए बलिदान हो गया ।
जब गुरु साहब को इसकी सूचना मिली तो उनके मुह से बस इतना निकला …….
इन पुत्रन के कारने , वार दिए सुत चार ।
चार मुए तो क्या हुआ , जब जीवें कई हज़ार ।
मित्रो …… 22 दिसम्बर …….
दोनों बड़े साहिबजादों , अजीत सिंह और जुझार सिंह जी का बलिदान दिवस ……..
और आज 26 दिसम्बर को बाबा फ़तेह सिंह और बाबा ज़ोरावर सिंह जी का बलिदान दिवस ।
कितनी जल्दी भुला दिया हमने इस शहादत को ?
सुनी आपने कहीं कोई चर्चा ? किसी TV चैनल पे या किसी अखबार में …….
4 बेटे और माँ की बलिदान ……. एक सप्ताह में …….
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय !!!

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