Tuesday, 8 December 2015

ज्योतिष और वास्तु से समाधान

ज्योतिष और वास्तु से समाधान
ज्योतिष और हम
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ज्योतिष क्या है ये हम सब जानते है। हम लोगों में से
दो तरह ले लोग होते है एक जो ज्योतिष को बिलकुल
भी नहीं मानते
और दूसरे जो इसको बहुत मानते हैं। हर काम ग्रह -
नक्षत्रों को देख -पूछ कर ही जीवन बिताते है।
ज्योतिष कोई पाखंड नहीं है जो माना ना जाये और
कोई अंधविश्वास भी नहीं है कि हर बात में ज्योतिष
को लाया जाये।
बल्कि यह कहेंगे की अगर हम अपनी दिनचर्या ही
ऐसी बना ले और अपने रिश्तों को निभाते हुए उनकी
मर्यादा को बनाये रखते है तो हमारे सारे ग्रह अपने
आप ही संतुलन में आ जाते है।
क्यूँ कि सभी ग्रह पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों को
किसी न किसी रूप से प्रभावित करते ही है।
जैसे सूर्य आत्मा और पिता का कारक है अगर पिता
का सम्मान किया जाय तो सूर्य अपने आप ही
संतुलित हो कर अच्छा प्रभाव देगा।
चंद्रमा माता और मन दोनों का कारक है माता का
सम्मान किया जाये तो यह संतुलित हो कर इंसान को
अवसाद की स्थिति से हटा कर अच्छी कल्पना
शक्ति देगा।
मंगल साहस,रक्त और रक्त -सम्बन्धियों का कारक है।
अगर कोई भी व्यक्ति अपने पारिवारिक रिश्तों से
अच्छी तरह निर्वाह करता है तो मंगल ग्रह अपने आप
ही अच्छा फल देने लगता है।
बुध वाणी,काव्य -शक्ति ,ज्योतिष और जासूसी और
त्वचा -सम्बन्धी रोगों का कारक है अगर कोई
व्यक्ति अपनी वाणी का सही प्रयोग करता है तो
बुध ग्रह भी संतुलित हो जायगा।
वृहस्पति भाग्य ,पुत्रकारक राज्य ,धन और आयु का
कारक होता है शरीर में मोटापे और अहंकार का
कारक भी होता है .अगर कोई व्यक्ति अपने गुरु का
सम्मान,धर्म के प्रति रूचि और बुजुर्गों का सम्मान
करता है तो यह संतुलित हो कर अच्छा फल प्रदान
करता है।
शुक्र ग्रह नेत्रों और दाम्पत्य जीवन -,ऐश्वर्य -पूर्ण
जीवन और कन्या -सन्तति का कारक है। अगर कोई
व्यक्ति अपने जीवन साथी के प्रति समर्पित हो कर
रहे , स्त्री जाति का आदर करे तो यह ग्रह स्वयं ही
संतुलित हो जाता है।
शनि ग्रह वात, आयु , नौकर,हड्डियों रोग में कमर
,सर्वाइकल आदि के रोगों आदि का कारक है। अगर
कोई व्यक्ति अपने इष्ट और कुल देवता के प्रति निष्ठा
अपने देश के प्रति निष्ठा और अपने सेवकों के प्रति
दया भाव रखता है तो यह ग्रह बहुत अच्छा फल देगा।
राहू-केतू दोनों ही छाया ग्रह है. राहू अँधेरे और
भ्रम,गुप्त रोग और शत्रुओं का कारक है तो केतू ,बुद्धि-
भ्रम ,विद्या -बाधा आदि का कारक है यहाँ भी
अगर कोई व्यक्ति किसी भी भ्रम जाल में ना पड़ कर
,सही वस्तु -स्थिति को समझ कर दृढ -निश्चयी हो
कर रहे तो ये ग्रह संतुलित हो कर अच्छा ही फल देते हैं।
ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है जिसमे हम सब को
पहले से होने वाली घटना का पता चल सकता है।
जब किसी को किसी समस्या का हल नहीं मिलता
तो वह ज्योतिष की राह पकड़ते है या ये कहेंगे कि एक
हारा हुआ इंसान ही ये सोचता हुआ ज्योतिष के पास
जाता है कि शायद यहाँ कोई हल मिल जाए।
जिस प्रकार मेडिकल जांच के लिए लोग जागरूक होते
हैं वैसे ही हमें ज्योतिष के लिए भी होना चाहिए.
और लोगों को भ्रम में ना पड़ कर एक अच्छे ज्योतिषी
की ही सलाह लेनी चाहिए।
जय श्री राम

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