Wednesday, 30 September 2015
Tuesday, 29 September 2015
Monday, 28 September 2015
संघ है क्या...??
"राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विशुद्ध रूप से एक राष्ट्रवादी संघटन है", जिसके सिद्धान्त हिंदुत्व में निहित और आधारित हैं।
संघ की शुरुआत सन् 1925 में विजयदशमी के दिन परमपूज्य डा०केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गयी थी और आपको यह जानकर काफी ख़ुशी होगी कि बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है।
भारत में संघ की लगभग पचास हजार से
भी ज्यादा शाखा लगती हैं और संघ में लगभग 25 करोड़ स्वयंसेवी हैं । वस्तुत: शाखा ही तो संघ की बुनियाद है जिसके ऊपर आज यह इतना विशाल संगठन खड़ा हुआ है।
भी ज्यादा शाखा लगती हैं और संघ में लगभग 25 करोड़ स्वयंसेवी हैं । वस्तुत: शाखा ही तो संघ की बुनियाद है जिसके ऊपर आज यह इतना विशाल संगठन खड़ा हुआ है।
शाखा की सामान्य गतिविधियों में खेल, योग वंदना और भारत एवं विश्व के सांस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक चर्चा परिचर्चा शामिल है। जो भी सदस्य शाखा में स्वयं की इच्छा से आते हैं , वे "स्वयंसेवक" कहलाते हैं ...!
शाखा में बौद्धिक और शारीरिक रूप से स्वयंसेवकों को संघ की जानकारी तो दी ही जाती हैं साथ-साथ समाज, राष्ट्र और धर्म की शिक्षा भी दी जाती है.
सिर्फ इतना ही नहीं हिंदू धर्म में सामाजिक समानता के लिए संघ ने दलितों और पिछड़े वर्गों को मंदिर में पुजारी पद के लिए प्रशिक्षण का समर्थन किया है |
यहाँ तक कि ... महात्मा गाँधी के 1934 RSS के एक कैम्प की यात्रा के दोरान उन्होंने वहां पर पूर्ण अनुशासन पाया और छुआछूत की अनुपस्थिति पायी |
राहत और पुर्नवास संघ की पुरानी परंपरा रही है... उदाहरण के तौर पर संघ ने 1971 के उडीसा चक्रवात और 1977 के आंध्र प्रदेश चक्रवात में राहत कार्यों में महती भूमिका निभाई है |
इतना ही नहीं ... संघ से जुडी "सेवा भारती" ने जम्मू कश्मीर से आतंकवाद से परेशान 57 अनाथ बच्चों को गोद लिया हे जिनमे 38 मुस्लिम (जबकि मुस्लिम संघ को गाली देते हैं फिर भी और 19 हिंदू हैं |
संघ की उपस्थिति भारतीय समाज के हर क्षेत्र में महसूस की जा सकती है जिसकी शुरुआत सन 1925 से होती है। उदाहरण के तौर पर सन 1962 के भारत-चीन युद्ध में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संघ की भूमिका से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने संघ को सन 1963 के गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित होने का निमन्त्रण दिया। और आप यह जान कर ख़ुशी से झूम उठेंगे कि.. सिर्फ़ दो दिनों की पूर्व सूचना पर तीन हजार से भी ज्यादा स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में वहाँ उपस्थित हो गये।
वर्तमान समय में संघ के दर्शन का पालन करने वाले कतिपय लोग देश के सर्वोच्च पदों तक पहुँचने मे भीं सफल रहे हैं। ऐसे प्रमुख व्यक्तियों में उपराष्ट्रपति पद पर भैरोंसिंह शेखावत, प्रधानमंत्री पद पर अटल बिहारी वाजपेयी एवं उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री के पद पर लालकृष्ण आडवाणी , नरेन्द्र भाई मोदी जैसे दिग्गज लोग शामिल हैं। इतना ही नहीं... जिस दिन सारे स्वयंसेवक सिर्फ एक लाइन बना कर ही सीमा पर खड़े हो गए उस दिन चीन से ले कर बांग्लादेश तक गणवेशधारी स्वयंसेवक ही स्वयंसेवक नजर आयेंगे !
इसीलिए ये शर्म नहीं बल्कि हमारे लिए काफी गर्व की बात होती है ....... जब हमें संघ का स्वयंसेवक कहा जाता है ....!
⛳राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ⛳
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐक वटवृक्ष है जिसके कई तने और कई शाखाये है।
संघ दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशो में कार्यरत है।"संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय ओर अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है ओर लगभग 200 से अधिक संघठन क्षेत्रीय प्रभाव रखते हैं।
जिसमे कुछ प्रमुख संगठन है जो संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और सामाज के बीच सक्रीय है।जिनमे कुछ राष्ट्रवादी,सामाजिक, राजनेतिक, युवा वर्गे के बीच में कार्य करने वाले,शिक्षा के क्षेत्र में,सेवा के क्षेत्र में,सुरक्षा के क्षेत्र में,धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में, संतो के बीच में, विदेशो में,अन्य कई क्षेत्रो में संघ परिवार के संघठन सक्रीय रहते है,जिनमे प्रमुख है:-
⛳🐅विश्व हिन्दू परिषद्
⛳🐅 बजरंगदल
⛳🐅अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्
⛳🐅सेवा भारती
⛳🐅भारतीय किसान संघ
⛳🐅भारतीय जनता पार्टी
⛳🐅भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा
⛳🐅भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा👩
⛳🐅भारतीय मजदूर संघ
⛳🐅भारतीय शिक्षक संघ
⛳🐅विद्या भारती-सरस्वती शिशु मंदिर
⛳🐅भारतीय स्वाभिमान मंच
⛳🐅स्वदेशी जागरण मंच
⛳🐅धर्म जागरण विभाग
⛳🐅युवा क्रांति मंच
⛳🐅नव निर्माण मंच
⛳🐅श्रीराम सेना
⛳🐅भारत जागो!-विश्व जगाओ
⛳🐅धर्म रक्षा मंच
⛳🐅संस्कृति रक्षा मंच
⛳🐅हिन्दू स्वयंसेवक संघ
⛳🐅प्रवासी भारतीय संघ
⛳🐅नर्मदा बचाओ जागरण मंच
⛳🐅धर्मांतरण विरुद्ध विभाग
⛳🐅वनवासी कल्याण परिषद्
⛳🐅एकल विद्यालय योजना
⛳🐅दुर्गा वाहिनी👩
⛳🐅मातृशक्ति👩
⛳🐅राष्ट्र सेविका👩
⛳🐅ग्राम भारती
🐅🐅🐅🐅🐅🐅🐅🐅🐅🐅🐅
⛳राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ⛳
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐक वटवृक्ष है जिसके कई तने और कई शाखाये है।
संघ दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशो में कार्यरत है।"संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय ओर अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है ओर लगभग 200 से अधिक संघठन क्षेत्रीय प्रभाव रखते हैं।
जिसमे कुछ प्रमुख संगठन है जो संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और सामाज के बीच सक्रीय है।जिनमे कुछ राष्ट्रवादी,सामाजिक, राजनेतिक, युवा वर्गे के बीच में कार्य करने वाले,शिक्षा के क्षेत्र में,सेवा के क्षेत्र में,सुरक्षा के क्षेत्र में,धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में, संतो के बीच में, विदेशो में,अन्य कई क्षेत्रो में संघ परिवार के संघठन सक्रीय रहते है,जिनमे प्रमुख है:-
⛳🐅विश्व हिन्दू परिषद्
⛳🐅 बजरंगदल
⛳🐅अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्
⛳🐅सेवा भारती
⛳🐅भारतीय किसान संघ
⛳🐅भारतीय जनता पार्टी
⛳🐅भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा
⛳🐅भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा👩
⛳🐅भारतीय मजदूर संघ
⛳🐅भारतीय शिक्षक संघ
⛳🐅विद्या भारती-सरस्वती शिशु मंदिर
⛳🐅भारतीय स्वाभिमान मंच
⛳🐅स्वदेशी जागरण मंच
⛳🐅धर्म जागरण विभाग
⛳🐅युवा क्रांति मंच
⛳🐅नव निर्माण मंच
⛳🐅श्रीराम सेना
⛳🐅भारत जागो!-विश्व जगाओ
⛳🐅धर्म रक्षा मंच
⛳🐅संस्कृति रक्षा मंच
⛳🐅हिन्दू स्वयंसेवक संघ
⛳🐅प्रवासी भारतीय संघ
⛳🐅नर्मदा बचाओ जागरण मंच
⛳🐅धर्मांतरण विरुद्ध विभाग
⛳🐅वनवासी कल्याण परिषद्
⛳🐅एकल विद्यालय योजना
⛳🐅दुर्गा वाहिनी👩
⛳🐅मातृशक्ति👩
⛳🐅राष्ट्र सेविका👩
⛳🐅ग्राम भारती
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आओ नमन करे इस मातृभूमि को
और दुनिया के सबसे बड़े संघठन से जुड़े।।
⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳
और दुनिया के सबसे बड़े संघठन से जुड़े।।
⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳
🚩हिंदुत्व का आधार।👊
👇👇👇
⛳"संघ शक्ति"⛳🐅🐅
j🐅
👇👇👇
⛳"संघ शक्ति"⛳🐅🐅
j🐅
(और)
🚩 "संघ परिवार"!!🚩
🚩 "संघ परिवार"!!🚩
Sunday, 27 September 2015
60 साल तक भारत में प्रतिबंधित रहा नाथूराम का अंतिम भाषण “मैंने गांधी को क्यों मारा”
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी लेकिन नाथूराम गोड़से घटना स्थल से फरार नही हुआ बल्कि उसने आत्मसमर्पण कर दिया | नाथूराम गोड़से समेत 17 अभियुक्तों पर गांधी जी की हत्या का मुकदमा चलाया गया | इस मुकदमे की सुनवाई के दरम्यान न्यायमूर्ति खोसला से नाथूराम ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर जनता को सुनाने की अनुमति माँगी थी जिसे न्यायमूर्ति ने स्वीकार कर लिया था | हालाँकि सरकार ने नाथूराम के इस वक्तव्य पर प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन नाथूराम के छोटे भाई और गांधी जी की हत्या के सह-अभियोगी गोपाल गोड़से ने 60 साल की लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट में विजय प्राप्त की और नाथूराम का वक्तव्य प्रकाशित किया गया | नाथूराम गोड़से ने गांधी हत्या के पक्ष में अपनी 150 दलीलें न्यायलय के समक्ष प्रस्तुति की | देसी लुटियंस पेश करते है “नाथूराम गोड़से के वक्तव्य के मुख्य अंश”
1. नाथूराम का विचार था कि गांधी जी की अहिंसा हिन्दुओं को कायर बना देगी |कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी को मुसलमानों ने निर्दयता से मार दिया था महात्मा गांधी सभी हिन्दुओं से गणेश शंकर विद्यार्थी की तरह अहिंसा के मार्ग पर चलकर बलिदान करने की बात करते थे | नाथूराम गोड़से को भय था गांधी जी की ये अहिंसा वाली नीति हिन्दुओं को कमजोर बना देगी और वो अपना अधिकार कभी प्राप्त नहीं कर पायेंगे |

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2.1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोलीकांड के बाद से पुरे देश में ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ आक्रोश उफ़ान पे था | भारतीय जनता इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाने की मंशा लेकर गांधी जी के पास गयी लेकिन गांधी जी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से साफ़ मना कर दिया।

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3. महात्मा गांधी ने खिलाफ़त आन्दोलन का समर्थन करके भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता का जहर घोल दिया | महात्मा गांधी खुद को मुसलमानों का हितैषी की तरह पेश करते थे वो केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के 1500 हिन्दूओं को मारने और 2000 से अधिक हिन्दुओं को मुसलमान बनाये जाने की घटना का विरोध तक नहीं कर सके |

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4. कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से काँग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गांधी जी ने अपने प्रिय सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे | गांधी जी ने सुभाष चन्द्र बोस से जोर जबरदस्ती करके इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया |

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5. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गयी | पूरा देश इन वीर बालकों की फांसी को टालने के लिए महात्मा गांधी से प्रार्थना कर रहा था लेकिन गांधी जी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए देशवासियों की इस उचित माँग को अस्वीकार कर दिया।

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6. गांधी जी कश्मीर के हिन्दू राजा हरि सिंह से कहा कि कश्मीर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है अत: वहां का शासक कोई मुसलमान होना चाहिए | अतएव राजा हरिसिंह को शासन छोड़ कर काशी जाकर प्रायश्चित करने | जबकि हैदराबाद के निज़ाम के शासन का गांधी जी ने समर्थन किया था जबकि हैदराबाद हिन्दू बहुल क्षेत्र था | गांधी जी की नीतियाँ धर्म के साथ, बदलती रहती थी | उनकी मृत्यु के पश्चात सरदार पटेल ने सशक्त बलों के सहयोग से हैदराबाद को भारत में मिलाने का कार्य किया | गांधी जी के रहते ऐसा करना संभव नहीं होता |

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7. पाकिस्तान में हो रहे भीषण रक्तपात से किसी तरह से अपनी जान बचाकर भारत आने वाले विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली | मुसलमानों ने मस्जिद में रहने वाले हिन्दुओं का विरोध किया जिसके आगे गांधी नतमस्तक हो गये और गांधी ने उन विस्थापित हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।

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8. महात्मा गांधी ने दिल्ली स्थित मंदिर में अपनी प्रार्थना सभा के दौरान नमाज पढ़ी जिसका मंदिर के पुजारी से लेकर तमाम हिन्दुओं ने विरोध किया लेकिन गांधी जी ने इस विरोध को दरकिनार कर दिया | लेकिन महात्मा गांधी एक बार भी किसी मस्जिद में जाकर गीता का पाठ नहीं कर सके |

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9. लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से विजय प्राप्त हुयी किन्तु गान्धी अपनी जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया | गांधी जी अपनी मांग को मनवाने के लिए अनशन-धरना-रूठना किसी से बात न करने जैसी युक्तियों को अपनाकर अपना काम निकलवाने में माहिर थे | इसके लिए वो नीति-अनीति का लेशमात्र विचार भी नहीं करते थे |

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10. 14 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, लेकिन गांधी जी ने वहाँ पहुँच कर प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि गांधी जी ने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा। न सिर्फ देश का विभाजन हुआ बल्कि लाखों निर्दोष लोगों का कत्लेआम भी हुआ लेकिन गांधी जी ने कुछ नहीं किया |

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2.1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोलीकांड के बाद से पुरे देश में ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ आक्रोश उफ़ान पे था | भारतीय जनता इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाने की मंशा लेकर गांधी जी के पास गयी लेकिन गांधी जी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से साफ़ मना कर दिया।

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3. महात्मा गांधी ने खिलाफ़त आन्दोलन का समर्थन करके भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता का जहर घोल दिया | महात्मा गांधी खुद को मुसलमानों का हितैषी की तरह पेश करते थे वो केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के 1500 हिन्दूओं को मारने और 2000 से अधिक हिन्दुओं को मुसलमान बनाये जाने की घटना का विरोध तक नहीं कर सके |

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4. कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से काँग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गांधी जी ने अपने प्रिय सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे | गांधी जी ने सुभाष चन्द्र बोस से जोर जबरदस्ती करके इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया |

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5. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गयी | पूरा देश इन वीर बालकों की फांसी को टालने के लिए महात्मा गांधी से प्रार्थना कर रहा था लेकिन गांधी जी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए देशवासियों की इस उचित माँग को अस्वीकार कर दिया।

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6. गांधी जी कश्मीर के हिन्दू राजा हरि सिंह से कहा कि कश्मीर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है अत: वहां का शासक कोई मुसलमान होना चाहिए | अतएव राजा हरिसिंह को शासन छोड़ कर काशी जाकर प्रायश्चित करने | जबकि हैदराबाद के निज़ाम के शासन का गांधी जी ने समर्थन किया था जबकि हैदराबाद हिन्दू बहुल क्षेत्र था | गांधी जी की नीतियाँ धर्म के साथ, बदलती रहती थी | उनकी मृत्यु के पश्चात सरदार पटेल ने सशक्त बलों के सहयोग से हैदराबाद को भारत में मिलाने का कार्य किया | गांधी जी के रहते ऐसा करना संभव नहीं होता |

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7. पाकिस्तान में हो रहे भीषण रक्तपात से किसी तरह से अपनी जान बचाकर भारत आने वाले विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली | मुसलमानों ने मस्जिद में रहने वाले हिन्दुओं का विरोध किया जिसके आगे गांधी नतमस्तक हो गये और गांधी ने उन विस्थापित हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।

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8. महात्मा गांधी ने दिल्ली स्थित मंदिर में अपनी प्रार्थना सभा के दौरान नमाज पढ़ी जिसका मंदिर के पुजारी से लेकर तमाम हिन्दुओं ने विरोध किया लेकिन गांधी जी ने इस विरोध को दरकिनार कर दिया | लेकिन महात्मा गांधी एक बार भी किसी मस्जिद में जाकर गीता का पाठ नहीं कर सके |

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9. लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से विजय प्राप्त हुयी किन्तु गान्धी अपनी जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया | गांधी जी अपनी मांग को मनवाने के लिए अनशन-धरना-रूठना किसी से बात न करने जैसी युक्तियों को अपनाकर अपना काम निकलवाने में माहिर थे | इसके लिए वो नीति-अनीति का लेशमात्र विचार भी नहीं करते थे |

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10. 14 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, लेकिन गांधी जी ने वहाँ पहुँच कर प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि गांधी जी ने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा। न सिर्फ देश का विभाजन हुआ बल्कि लाखों निर्दोष लोगों का कत्लेआम भी हुआ लेकिन गांधी जी ने कुछ नहीं किया |

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11. धर्म-निरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के जन्मदाता महात्मा गाँधी ही थे | जब मुसलमानों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने का विरोध किया तो महात्मा गांधी ने सहर्ष ही इसे स्वीकार कर लिया और हिंदी की जगह हिन्दुस्तानी (हिंदी + उर्दू की खिचड़ी) को बढ़ावा देने लगे | बादशाह राम और बेगम सीता जैसे शब्दों का चलन शुरू हुआ |

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12. कुछ एक मुसलमान द्वारा वंदेमातरम् गाने का विरोध करने पर महात्मा गांधी झुक गये और इस पावन गीत को भारत का राष्ट्र गान नहीं बनने दिया |

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13. गांधी जी ने अनेक अवसरों पर शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोबिन्द सिंह को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा। वही दूसरी ओर गांधी जी मोहम्मद अली जिन्ना को क़ायदे-आजम कहकर पुकारते थे |

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14. कांग्रेस ने 1931 में स्वतंत्र भारत के राष्ट्र ध्वज बनाने के लिए एक समिति का गठन किया था इस समिति ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र को भारत का राष्ट्र ध्वज के डिजाइन को मान्यता दी किन्तु गांधी जी की जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।

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15. जब सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया तब गांधी जी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।

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16. भारत को स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान को एक समझौते के तहत 75 करोड़ रूपये देने थे भारत ने 20 करोड़ रूपये दे भी दिए थे लेकिन इसी बीच 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया | केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण से क्षुब्ध होकर 55 करोड़ की राशि न देने का निर्णय लिया | जिसका महात्मा गांधी ने विरोध किया और आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 55 करोड़ की राशि भारत ने पाकिस्तान दे दी ।
महात्मा गांधी भारत के नहीं अपितु पाकिस्तान के राष्ट्रपिता थे जो हर कदम पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़े रहे, फिर चाहे पाकिस्तान की मांग जायज हो या नाजायज | गांधी जी ने कदाचित इसकी परवाह नहीं की |


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14. कांग्रेस ने 1931 में स्वतंत्र भारत के राष्ट्र ध्वज बनाने के लिए एक समिति का गठन किया था इस समिति ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र को भारत का राष्ट्र ध्वज के डिजाइन को मान्यता दी किन्तु गांधी जी की जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।

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15. जब सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया तब गांधी जी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।

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16. भारत को स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान को एक समझौते के तहत 75 करोड़ रूपये देने थे भारत ने 20 करोड़ रूपये दे भी दिए थे लेकिन इसी बीच 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया | केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण से क्षुब्ध होकर 55 करोड़ की राशि न देने का निर्णय लिया | जिसका महात्मा गांधी ने विरोध किया और आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 55 करोड़ की राशि भारत ने पाकिस्तान दे दी ।
महात्मा गांधी भारत के नहीं अपितु पाकिस्तान के राष्ट्रपिता थे जो हर कदम पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़े रहे, फिर चाहे पाकिस्तान की मांग जायज हो या नाजायज | गांधी जी ने कदाचित इसकी परवाह नहीं की |

उपरोक्त घटनाओं को देशविरोधी मानते हुए नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की हत्या को न्यायोचित ठहराने का प्रयास किया | नाथूराम ने न्यायालय में स्वीकार किया कि माहात्मा गांधी बहुत बड़े देशभक्त थे उन्होंने निस्वार्थ भाव से देश सेवा की | मैं उनका बहुत आदर करता हूँ लेकिन किसी भी देशभक्त को देश के टुकड़े करने के ,एक समप्रदाय के साथ पक्षपात करने की अनुमति नहीं दे सकता हूँ | गांधी जी की हत्या के सिवा मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था |
नाथूराम गोड़से जी ......
द्वारा अदालत में दिए बयान के मुख्य अंश.....
द्वारा अदालत में दिए बयान के मुख्य अंश.....
मेने गांधी को नहीं मारा
मेने गांधी का वध किया हे
गांधी वध
मेने गांधी का वध किया हे
गांधी वध
वो मेरे दुश्मन नहीं थे परन्तु उनके निर्णय राष्ट्र के लिए घातक साबित हो रहे थे
जब व्यक्ति के पास कोई रास्ता न बचे तब वह मज़बूरी में सही कार्य के लिए गलत रास्ता अपनाता हे
मुस्लिम लीग और पाकिस्तान निर्माण की गलत निति के प्रति गांधीजी की सकारात्मक प्रतिक्रिया ने ही मुझे मजबूर किया
पाकिस्तान को 55 करोड़ का भुकतान करने की गैरवाजिब मांग को लेकर गांधी जी अनशन पर बेठे
बटवारे में पाकिस्तान से आ रहे हिन्दुओ की आपबीती और दूरदशा ने मुझे हिला के रख दिया था
अखंड हिन्दू राष्ट्र गांधी जी के कारण मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक रहा था
बेटो के सामने माँ का खंडित होकर टुकड़ो में बटना
विभाजित होना असहनीय था
विभाजित होना असहनीय था
अपनी ही धरती पर हम परदेशी बन गए थे
मुस्लिम लीग की सारी गलत मांगो को गांधी जी मानते जा रहे थे
मेने ये निर्णय किया के भारत माँ को अब और विखंडित और दयनीय स्थिति में नहीं होने देना हे तो मुझे गांधी को मारना ही होगा
और मेने इसलिए गांधी को मारा.....
मुझे पता हे इसके लिए मुझे फ़ासी होगी
में इसके लिए भी तैयार हु
में इसके लिए भी तैयार हु
और हा यदि मातृभूमि की रक्षा करना अपराध हे तो में यह अपराध बार बार करूँगा
हर बार करूँगा
हर बार करूँगा
और जब तक सिन्ध नदी पुनः अखंड हिन्द में न बहने लगे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन नहीं करना
मुझे फ़ासी देते वक्त मेरे एक हाथ में केसरिया ध्वज
और दूसरे हाथ में अखंड भारत का नक्शा हो
और दूसरे हाथ में अखंड भारत का नक्शा हो
में फ़ासी चढ़ते वक्त अखंड भारत की जय जय बोलना चाहूँगा
हे भारत माँ
मुझे दुःख हे में तेरी इतनी ही सेवा कर पाया....
मुझे दुःख हे में तेरी इतनी ही सेवा कर पाया....
नाथूराम गोडसे
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मोती लाल नेहरु की एक धर्म पत्नी और चार अन्य अवैध पत्नियाँ थीं |
मोती लाल नेहरु की धर्म पत्नी और चार अन्य अवैध पत्निया आैर उनकी संताने
क्या आप जानते हैं मोती लाल नेहरु की एक धर्म पत्नी और चार अन्य अवैध पत्नियाँ थीं |
जानिए उनकी धर्म पत्नी और चार अन्य अवैध पत्नियाँ एंव उनकी अवैध संतानों के बारे में -
क्या आप जानते हैं मोती लाल नेहरु की एक धर्म पत्नी और चार अन्य अवैध पत्नियाँ थीं |
जानिए उनकी धर्म पत्नी और चार अन्य अवैध पत्नियाँ एंव उनकी अवैध संतानों के बारे में -
(1) स्वरुप कुमारी बक्शी :- (विवाहिता पत्नी) की दो संतानें
1. श्रीमती कृष्णा w/o श्री जय सुख लाल हाथी (पूर्व राज्यपाल )
2.* श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित w/o श्री आर.एस.पंडित (पूर्व. राजदूत रूस),
1. श्रीमती कृष्णा w/o श्री जय सुख लाल हाथी (पूर्व राज्यपाल )
2.* श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित w/o श्री आर.एस.पंडित (पूर्व. राजदूत रूस),
(2) थुस्सू रहमान बाई :- से दो संताने
1. जवाहरलाल नेहरु ( हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री )
2. शैयद हुसैन
( अपने मालिक मुबारक अली से पैदा हुए थे | मालिक को निपटा दिया उसके बाद उसकी धन संपत्ति और बीबी बच्चे हथिया लिए थे )
1. जवाहरलाल नेहरु ( हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री )
2. शैयद हुसैन
( अपने मालिक मुबारक अली से पैदा हुए थे | मालिक को निपटा दिया उसके बाद उसकी धन संपत्ति और बीबी बच्चे हथिया लिए थे )
(3) मंजरी :- से एक संतान
1. मेहर अली सोख्ता (आर्य समाजी नेता)
1. मेहर अली सोख्ता (आर्य समाजी नेता)
(4) ईरान की वेश्या :- से एक संतान
1. मुहम्मद अली जिन्ना ( पाकिस्तान का प्रधानमंत्री )
1. मुहम्मद अली जिन्ना ( पाकिस्तान का प्रधानमंत्री )
(5) नौकरानी (रसोइया) :- से एक संतान
1. शेख अब्दुल्ला (कश्मीर का मुख्यमंत्री )
1. शेख अब्दुल्ला (कश्मीर का मुख्यमंत्री )
विजय लक्ष्मी पंडित पुत्री स्वरुप कुमारी बक्शी आैर w/o श्री आर.एस.पंडित (पूर्व. राजदूत रूस) :-
पहले विजय लक्ष्मी पंडित ने अपने आधे भाई शैयद हुसैन पुत्री थुस्सू रहमान बाई से शारीरिक सम्बन्ध स्थापित किये थे जिससे संतान हुई " चंद्रलेखा " जिसको श्री आर.एस.पंडित ने अपनी बेटी के रूप में स्वीकार किया |
शैयद हुसैन पुत्र थुस्सू रहमान बाई
जिसको इन्होने मुबारिक की मौत के बाद अपना लिया था |
जवाहर लाल नेहरु ने कमला कोल को कभी अपनी पत्नी नहीं माना था और सुहागरात भी नहीं मनाई थी | कमला कश्मीरी पंडित थी यह जवाहर को एकदम पसंद नहीं थी,
वैसे वो सिर्फ मुल्ले या अँग्रेज़ को ही ऊँची Race का घोडा मानते थे |
वैसे वो सिर्फ मुल्ले या अँग्रेज़ को ही ऊँची Race का घोडा मानते थे |
कमला की जिंदगी एक दासी के जैसी थी जिस अबला नारी को मंजूर अली ने ही हाथ थाम लिया था |
इसी करण नेहरु को इंदिरा जरा भी नही सुहाती थी | अब जब क़ानूनी तौर पर इंदिरा ही उसकी बेटी थी इसलिए न चाहते हुए भी उसको इंदिरा को आगे बढ़ाना पड़ा हलाकि उसके जीते जी इंदिरा कोई खेल नहीं कर पायी थी |
शास्त्री जी इसकी बातों में आकर ताशकंत चले गए थे पाकिस्तान से समझौता करने।
वहाँ इंदिरा ने याह्या खान की मदद से शास्त्री जी को जहर दिलवा कर मरवा डाला था और बताया की मौत ह्रदय की गति रुकने से हो गए |
कोई पोस्टमार्टम नहीं , कोई रिपोर्ट नहीं. यही से इनकी मक्कारी का पता चलता है।
इंदिरा ने मौका पाते ही झट से कुर्सी हड़प ली थी | जग जानता है इस बात को ।।।
इंदिरा ने मौका पाते ही झट से कुर्सी हड़प ली थी | जग जानता है इस बात को ।।।
इंदिरा उर्फ प्रियदर्शिनी नेहरु उर्फ़ मैमूना बेगम उर्फ़ इंदिरा खान w/o श्री फिरोज जहाँगीर खान की दो संताने क्रमंश :
1. राजीव पिता फ़िरोज़ जहाँगीर खान
2. संजीव उर्फ संजय पिता मोहम्मद युनुस
" ब्रिटेन के अन्दर कार चोरी के केस में पकड़ा गया और इसका पासपोर्ट जब्त कर दिया गया। इंदिरा गांधी के निर्देश पर, तत्कालीन भारतीय ब्रिटेन के राजदूत कृष्णा मेनन ने वहां प्रभाव का दुरुपयोग करके , संजीव गाँधी का नाम बदलकर संजय कर दिया और एक नया पासपोर्ट जारी कार दिया! इस प्रकार संजीव गाँधी से संजय गाँधी के नाम से जाना जाने लगा! "
1. राजीव पिता फ़िरोज़ जहाँगीर खान
2. संजीव उर्फ संजय पिता मोहम्मद युनुस
" ब्रिटेन के अन्दर कार चोरी के केस में पकड़ा गया और इसका पासपोर्ट जब्त कर दिया गया। इंदिरा गांधी के निर्देश पर, तत्कालीन भारतीय ब्रिटेन के राजदूत कृष्णा मेनन ने वहां प्रभाव का दुरुपयोग करके , संजीव गाँधी का नाम बदलकर संजय कर दिया और एक नया पासपोर्ट जारी कार दिया! इस प्रकार संजीव गाँधी से संजय गाँधी के नाम से जाना जाने लगा! "
भारत जवाहरलाल के लिए ,
पाकिस्तान जिन्ना के लिए
आैर
नौकरानी की आैलाद शेख अब्दुल्ला के लिए कशमीर।।
धारा 370 लगा कर उसे शक्तिशाली बना दिया आैर हिन्दुस्तान का सर दर्द बना दिया।।
पाकिस्तान जिन्ना के लिए
आैर
नौकरानी की आैलाद शेख अब्दुल्ला के लिए कशमीर।।
धारा 370 लगा कर उसे शक्तिशाली बना दिया आैर हिन्दुस्तान का सर दर्द बना दिया।।
इस व्यक्ति ने संविधान में भारत देट इज इण्डिया बना दिया हिन्दुस्तान का नामो निशान मिटाने का प्रयास किया।
सोचे
सोचे
सिर्फ प्रचार कर के इस परिवार ने अपनी इज्जत बनाई।।
इतिहास को हमेशा छुपाया परन्तु सच्चाई कही छुपती नहीं है।।
इतिहास को हमेशा छुपाया परन्तु सच्चाई कही छुपती नहीं है।।
साभार - जॉन मथाई की आत्मकथा से (जवाहरलाल नेहरु के व्यक्तिगत सचिव )
पढे
नेहरु खानदान कौन है उसकी असिलयत
नेहरु खानदान कौन है उसकी असिलयत
Thursday, 24 September 2015
कांग्रेस और Christian Missionaries connection…
कभी आपने सोचा है की सरकार मे ज़्यादातर मंत्री हिन्दू है फिर भी हिन्दुओ पर अत्याचार क्यों होता है, नहीं पता चलिये मैं आपको बताता हूँ क्यों ?
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क्योंकि कांग्रेस के 80% मंत्री धर्मपरिवर्तित ईसाई या मुसलमान है बस धोखे देने को नाम ही हिन्दू की तरह है हिन्दू वोटरो को लुभाने के लिए….
• सबसे पहले सोनिया गांधी असली नाम एंटोनिया माइनो कट्टर कैथोलिक ईसाई
• राहुल गांधी असली नाम राउल विंची
• प्रियंका गांधी का पति राबर्ट वाड्रा कट्टर ईसाई
• प्रियंका के दो बच्चे रेहना और मिराया
• दिग्विजय सिंह ईसाई धर्म अपना चुका है
• छतीसगढ़ के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री अजित जोगी और उनका पूरा परिवार ईसाई धर्म अपना चुका है
• कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम ईसाई बन चुके है और उनकी पत्नी नलिनी 167 ईसाई मिशनरी एनजीओ की मालकिन है
• पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालाकृषडन भी ईसाई धर्म अपना चुके है
• 2जी घोटाले का आरोपी ए राजा ईसाई है• द्रमुक प्रमुख एम के करुणानिधि व उनका पूरा खानदान ईसाई बन चुका है
• वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रणव मुखर्जी, सुबोध कान्त सहाय, कपिल सिब्बल, सत्यव्रत चतुर्वेदी, अंबिका सोनी,पीवी थामस, ए के एन्टोनी, जनार्दन दिवेदी, मनीष तिवारी ये सभी ईसाई धर्म अपना चुके है
• धर्म को अफीम मनाने वाले कम्युनिस्ट सीताराम येचूरी, प्रकाश करात, विनायक सेन ईसाई है
• अरुंधति राय, स्वामी अग्निवेस, सारे कांग्रेसी पत्रकार ईसाई हो चुके है
• आंध्र प्रदेश के 150 से ज्यादा मंत्री ईसाई बन चुके है इसलिए आंध्र प्रदेश मे सारे मंदिरो को तोड़ा जा चुका है ,
• बाकी बचे नेता मुस्लिम है जैसे सलमान खुर्सीद, अहमद पटेल इत्यादि ।
--------
• आंध्र प्रदेश के वाईएसआर रेड्डी ईसाई है और उसका बेटा अनिल जो की ईसाई मिशनरी समाज का सबसे बड़ा माफिया है,इसी अनिल पर यह भी आरोप है की धर्म परिवर्तन के लिए जो कमीशन बाहर से आता है उसके लेनदेन संबंधी बँटवारे को लेकर अनिल ने वाईएसआर केआई हत्या का षड्यंत्र रचा था । इसी अनिल ने पूरे भारत के जनमानस को ईसाई बनाने का ठेका लिया है । इसके पास 21 निजी हेलीकाप्टर है व खरबो रुपये की संपति है इसनेकेवल हैदराबाद मे ही 100 से ज्यादा conversion workshops लगा रखी है धर्म परिवर्तन के लिए
-------
इसका ढांचा किसी बहुत बड़ी एमएनसी कंपनी द्वारा बनाया गय जिसमे सीईओ से लेकर मार्केटिंग professionals तक भर्ती किए जाते है । प्रत्येक ईसाई मिशनरी को टार्गेट दिया जाता है की प्रति सप्ताह 10 हिन्दुओ को ईसाई बनानेका और कमीशन दिया जाता है,औसतन 200 हिन्दुओ को ईसाई धर्म परिवर्तन न करने के कारण जला दिया जाता है ,यह सरकारी आंकड़ा है असली संख्या इससे ज्यादा हो सकती है(सारे आंकड़े विकिपीडिया और विभिन्न ब्लॉगर के माध्यम से एकत्रित किये गए है)
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कृपया ये जानकारी खुद तक ही न रखे,शेयर करे
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क्योंकि कांग्रेस के 80% मंत्री धर्मपरिवर्तित ईसाई या मुसलमान है बस धोखे देने को नाम ही हिन्दू की तरह है हिन्दू वोटरो को लुभाने के लिए….
• सबसे पहले सोनिया गांधी असली नाम एंटोनिया माइनो कट्टर कैथोलिक ईसाई
• राहुल गांधी असली नाम राउल विंची
• प्रियंका गांधी का पति राबर्ट वाड्रा कट्टर ईसाई
• प्रियंका के दो बच्चे रेहना और मिराया
• दिग्विजय सिंह ईसाई धर्म अपना चुका है
• छतीसगढ़ के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री अजित जोगी और उनका पूरा परिवार ईसाई धर्म अपना चुका है
• कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम ईसाई बन चुके है और उनकी पत्नी नलिनी 167 ईसाई मिशनरी एनजीओ की मालकिन है
• पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालाकृषडन भी ईसाई धर्म अपना चुके है
• 2जी घोटाले का आरोपी ए राजा ईसाई है• द्रमुक प्रमुख एम के करुणानिधि व उनका पूरा खानदान ईसाई बन चुका है
• वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रणव मुखर्जी, सुबोध कान्त सहाय, कपिल सिब्बल, सत्यव्रत चतुर्वेदी, अंबिका सोनी,पीवी थामस, ए के एन्टोनी, जनार्दन दिवेदी, मनीष तिवारी ये सभी ईसाई धर्म अपना चुके है
• धर्म को अफीम मनाने वाले कम्युनिस्ट सीताराम येचूरी, प्रकाश करात, विनायक सेन ईसाई है
• अरुंधति राय, स्वामी अग्निवेस, सारे कांग्रेसी पत्रकार ईसाई हो चुके है
• आंध्र प्रदेश के 150 से ज्यादा मंत्री ईसाई बन चुके है इसलिए आंध्र प्रदेश मे सारे मंदिरो को तोड़ा जा चुका है ,
• बाकी बचे नेता मुस्लिम है जैसे सलमान खुर्सीद, अहमद पटेल इत्यादि ।
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• आंध्र प्रदेश के वाईएसआर रेड्डी ईसाई है और उसका बेटा अनिल जो की ईसाई मिशनरी समाज का सबसे बड़ा माफिया है,इसी अनिल पर यह भी आरोप है की धर्म परिवर्तन के लिए जो कमीशन बाहर से आता है उसके लेनदेन संबंधी बँटवारे को लेकर अनिल ने वाईएसआर केआई हत्या का षड्यंत्र रचा था । इसी अनिल ने पूरे भारत के जनमानस को ईसाई बनाने का ठेका लिया है । इसके पास 21 निजी हेलीकाप्टर है व खरबो रुपये की संपति है इसनेकेवल हैदराबाद मे ही 100 से ज्यादा conversion workshops लगा रखी है धर्म परिवर्तन के लिए
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इसका ढांचा किसी बहुत बड़ी एमएनसी कंपनी द्वारा बनाया गय जिसमे सीईओ से लेकर मार्केटिंग professionals तक भर्ती किए जाते है । प्रत्येक ईसाई मिशनरी को टार्गेट दिया जाता है की प्रति सप्ताह 10 हिन्दुओ को ईसाई बनानेका और कमीशन दिया जाता है,औसतन 200 हिन्दुओ को ईसाई धर्म परिवर्तन न करने के कारण जला दिया जाता है ,यह सरकारी आंकड़ा है असली संख्या इससे ज्यादा हो सकती है(सारे आंकड़े विकिपीडिया और विभिन्न ब्लॉगर के माध्यम से एकत्रित किये गए है)
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कृपया ये जानकारी खुद तक ही न रखे,शेयर करे
Wednesday, 23 September 2015
हिन्दू दंपत्ति को सरेराहमुल्लों ने बेइज्जत किया। पति के सामने पत्नी का रेप किया
पाकिस्तान में मस्ज़िद के पास लगे नल से पानी पी लेने मात्र से जिस तरह
हिन्दू दंपत्ति को सरेराहमुल्लों ने बेइज्जत किया। पति के सामने पत्नी का रेप किया। दिल को दहला देने वाली घटना है।बर्माके रोहिंग्या मुसलामानों के लिए छाती पीटने वाली मिडिया और बामपंथी लाल बंदरों को पाकिस्तान मेंहिंदुओं की दुर्दशा नहीं दिखती।तीस्ता सितलवाणो और देश भर में फैले समाजसेवी अन्नाओं! सेक्युलरिज्म के पुजारी नितिशो,लालुओं,मुलायमों और नेहरू के वंशजों, कभी पाकिस्तानी हिंदुओं कीदुर्दशा पर भी कुछ बोलो। मोदी जी जिस तरह 4000 पाकिस्तानी हिंदुओं को आपने पिछले 2 महीनेमे भारत की नागरिकता दी उसी तरह बाकी 14 लाख हिंदुओं क
हिन्दू दंपत्ति को सरेराहमुल्लों ने बेइज्जत किया। पति के सामने पत्नी का रेप किया। दिल को दहला देने वाली घटना है।बर्माके रोहिंग्या मुसलामानों के लिए छाती पीटने वाली मिडिया और बामपंथी लाल बंदरों को पाकिस्तान मेंहिंदुओं की दुर्दशा नहीं दिखती।तीस्ता सितलवाणो और देश भर में फैले समाजसेवी अन्नाओं! सेक्युलरिज्म के पुजारी नितिशो,लालुओं,मुलायमों और नेहरू के वंशजों, कभी पाकिस्तानी हिंदुओं कीदुर्दशा पर भी कुछ बोलो। मोदी जी जिस तरह 4000 पाकिस्तानी हिंदुओं को आपने पिछले 2 महीनेमे भारत की नागरिकता दी उसी तरह बाकी 14 लाख हिंदुओं क
पश्चिम बंगाल मे ममता बेनर्जी के T.M.C. के मुस्लिम नेताओ ने हिन्दू बहु बेटियो की इज्जत के साथ खेला उन्हें मारा नंगा करके लाश को सडक पर फेंक दिय
पश्चिम बंगाल मे ममता बेनर्जी के T.M.C. के मुस्लिम नेताओ ने हिन्दू बहु बेटियो की इज्जत के साथ खेला उन्हें मारा नंगा करके लाश को सडक पर फेंक दिया......
बंगाल में ये हाल है हिन्दुओं का रोज धर्म के नाम पर शांतिदूत हिन्दुओं की हत्या लड़कियों का बलात्कार और बलात्कार के बाद निर्मम हत्या कर रहे हैं अब तो बंगाल में ये आम बात हो गई है और हिन्दुओं के साथ इस बेरहमी और अत्याचार पर...........
मीडिया चुप.
सेक्युलर चुप
विश्लेषक चुप
एनजीओ चुप
पत्रकार चुप
समाजसेवी चुप
समाचार पत्र चुप
महिला आयोग चुप
मानवाधिकार आयोग चुप
और सबसे बड़ी बात......... -
हिन्दुओं के सतज इस अत्याचार पर
बंगाल में ये हाल है हिन्दुओं का रोज धर्म के नाम पर शांतिदूत हिन्दुओं की हत्या लड़कियों का बलात्कार और बलात्कार के बाद निर्मम हत्या कर रहे हैं अब तो बंगाल में ये आम बात हो गई है और हिन्दुओं के साथ इस बेरहमी और अत्याचार पर...........
मीडिया चुप.
सेक्युलर चुप
विश्लेषक चुप
एनजीओ चुप
पत्रकार चुप
समाजसेवी चुप
समाचार पत्र चुप
महिला आयोग चुप
मानवाधिकार आयोग चुप
और सबसे बड़ी बात......... -
हिन्दुओं के सतज इस अत्याचार पर
Monday, 21 September 2015
Thursday, 17 September 2015
इस लिए इन्हे कहते है मोदी जी
मोदी जी सभा कर रहे थे।।
उन्होंने देखा की एक विकलांग बहुत देर से बार बार उठा
- खड़ा होना चाहता है की वो उनको देख सके।।
थोड़ी देर तो मोदी जी देखते रहे
, फिर अब उनको सहन नहीं हो रहा था।। वो व्याकुल
ही उठे, हालात यह बन गए की भाषण से
शब्द भूलने लगे।। दिमाग देखिये उस विकलांग को हो
रही परेशानी और भाषण दोनों पर केन्द्रित
था।। कुछ देर ही हुयी कि अब बर्दाश्त
नहीं हुआ और भाषण वन्दे मातरम् के उद्घोष के साथ
समाप्त।।
सारे नेता भौंचक क्या हुआ ?? जनता हैरान ।। भाषण ख़त्म करने
के तुरंत बाद उन्होंने अपने सुरक्षा कर्मी को उस
विकलांग की और ऊँगली से इशारा करते
हुए कहा की उस विकलांग को ले आओ मेरे पास, मैं
मिलना चाहता हूँ।। वो सुरक्षाकर्मी गए उसके पास।। वो
बेहद डर गया की उसने क्या अपराध किया ?? उसको
बताया की मोदी जी आपको बुला
रहे हैं, वो मना करने लगा की उसने कोई
गलती नहीं की, वो विकलांग है
वो सिर्फ मोदी को देखना चाह रहा था।। वो सुरक्षा
कर्मी बिले चलो की सर बुला रहे हैं।।
इतने में स्टेज से मोदी जी ने इशारा किया
की इधर आओ, तो विकलांग सहम गया की
क्या कोई उसकी शिकायत किया है झूंठी
की उसने कोई जुर्म नहीं किया।। वो गया
मोदी जी के पास।।
मोदी जी ने उसको कुर्सी पर
बैठाया और स्वयं खड़े रहे।। उन्होंने उसका नाम, व्यवसाय और
कुशल क्षेम पूँछी।। वो घबराते हुए जबाब दिया।। अब
मोदी ने कहा -" बंधू , आज पहली बार
ऐसा हुआ की मैं आपको हो रही
तकलीफ देखकर जो आपको मुझको देखने में हो
रही थी , मैं भाषण से अपने शब्द भूलने
लग गया, मैं आपके प्रयास जो आप कर रहे थे मैं आपके मेरे
प्रति लगाव को देखकर नतमस्तक हूँ की आप
इतनी दूर से स्वयं चलकर सिर्फ मुझे सुनने और
देखने आये। मैं आपकी हिम्मत को सलाम करता हूँ"
इतना कहना था मोदी जी का
की वो विकलांग कुर्सी से हटकर उनके
चरणों में गिर गया और दोनों पैर कस के पकड लिए और रोने लग
गया।। बोल मुझे माफ़ कर दो, मैं गलत समझ रहा था की
आप मुझे पता नहीं किसलिए बुला रहे हैं , मुझे अब
अपने से नफरत हो रही है ।। आप महान हैं महान
हैं और खूब रोया।। मोदी ने उसको दोनों हांथो से उठाया ,
गले से लगाकर चुप कराया और पानी पिलाया और बोले-
" आप जीवन में सदैव आंगे बढे, कभी न
रुकें और खुश रहे ऐसी मैं कामना करता हूँ और हाँ
वोट डालने जरूर जायें ।।" ऐसा कहकर मोदी
जी उसके साथ मंच से उतर गए।।
ऐसे हैं हमारे मोदी जी।।
मित्रों, जिस जिस की आँखें प्रेमअश्रु से भर आई वो
शेयर करें और जिसको सुकून मिला वो कमेन्ट करें
उन्होंने देखा की एक विकलांग बहुत देर से बार बार उठा
- खड़ा होना चाहता है की वो उनको देख सके।।
थोड़ी देर तो मोदी जी देखते रहे
, फिर अब उनको सहन नहीं हो रहा था।। वो व्याकुल
ही उठे, हालात यह बन गए की भाषण से
शब्द भूलने लगे।। दिमाग देखिये उस विकलांग को हो
रही परेशानी और भाषण दोनों पर केन्द्रित
था।। कुछ देर ही हुयी कि अब बर्दाश्त
नहीं हुआ और भाषण वन्दे मातरम् के उद्घोष के साथ
समाप्त।।
सारे नेता भौंचक क्या हुआ ?? जनता हैरान ।। भाषण ख़त्म करने
के तुरंत बाद उन्होंने अपने सुरक्षा कर्मी को उस
विकलांग की और ऊँगली से इशारा करते
हुए कहा की उस विकलांग को ले आओ मेरे पास, मैं
मिलना चाहता हूँ।। वो सुरक्षाकर्मी गए उसके पास।। वो
बेहद डर गया की उसने क्या अपराध किया ?? उसको
बताया की मोदी जी आपको बुला
रहे हैं, वो मना करने लगा की उसने कोई
गलती नहीं की, वो विकलांग है
वो सिर्फ मोदी को देखना चाह रहा था।। वो सुरक्षा
कर्मी बिले चलो की सर बुला रहे हैं।।
इतने में स्टेज से मोदी जी ने इशारा किया
की इधर आओ, तो विकलांग सहम गया की
क्या कोई उसकी शिकायत किया है झूंठी
की उसने कोई जुर्म नहीं किया।। वो गया
मोदी जी के पास।।
मोदी जी ने उसको कुर्सी पर
बैठाया और स्वयं खड़े रहे।। उन्होंने उसका नाम, व्यवसाय और
कुशल क्षेम पूँछी।। वो घबराते हुए जबाब दिया।। अब
मोदी ने कहा -" बंधू , आज पहली बार
ऐसा हुआ की मैं आपको हो रही
तकलीफ देखकर जो आपको मुझको देखने में हो
रही थी , मैं भाषण से अपने शब्द भूलने
लग गया, मैं आपके प्रयास जो आप कर रहे थे मैं आपके मेरे
प्रति लगाव को देखकर नतमस्तक हूँ की आप
इतनी दूर से स्वयं चलकर सिर्फ मुझे सुनने और
देखने आये। मैं आपकी हिम्मत को सलाम करता हूँ"
इतना कहना था मोदी जी का
की वो विकलांग कुर्सी से हटकर उनके
चरणों में गिर गया और दोनों पैर कस के पकड लिए और रोने लग
गया।। बोल मुझे माफ़ कर दो, मैं गलत समझ रहा था की
आप मुझे पता नहीं किसलिए बुला रहे हैं , मुझे अब
अपने से नफरत हो रही है ।। आप महान हैं महान
हैं और खूब रोया।। मोदी ने उसको दोनों हांथो से उठाया ,
गले से लगाकर चुप कराया और पानी पिलाया और बोले-
" आप जीवन में सदैव आंगे बढे, कभी न
रुकें और खुश रहे ऐसी मैं कामना करता हूँ और हाँ
वोट डालने जरूर जायें ।।" ऐसा कहकर मोदी
जी उसके साथ मंच से उतर गए।।
ऐसे हैं हमारे मोदी जी।।
मित्रों, जिस जिस की आँखें प्रेमअश्रु से भर आई वो
शेयर करें और जिसको सुकून मिला वो कमेन्ट करें
Wednesday, 16 September 2015
भारत के पाँच महापुरुष और उनकी बातें
भारत के पाँच महापुरुष और उनकी बातें , इनका पालन करो .....
# महाराणा_प्रताप :~ " किसी की दास्तां से कहीं अच्छा है कि
उससे लडो , मारो , जीतो , या शहीद हो जाओ ! जीना है तो गर्व से
, दास्तां में जीने से कहीं अच्छा है 1 पल गर्व से जीना "
---------
# शिवाजी_महाराज :~ " हिन्दू है तो हिन्दू धर्म की रक्षा कर , देश
पर धर्म का राज कर , हिंदवी राज्य ही ईश्वर की इच्छा , उठा
तलवार , शांति के लिये युद्ध जरुरी है , घुस कर मार "
-----
# गुरु_गोविंद :~ " हाथ को तेल के डिब्बे में कोहनी तक डालो , फिर
उस हाथ को तिल की बोरी में डालो , जितने तिल हाथ से चिपके
उतनी बार भी मुस्लिम कसम खाये तो भरोसा मत करना "
-------
# वीर_सावरकर :~ " हिन्दु राष्ट्र से ही भारत का विकाश संभव
.... अगर किसी ने दूसरे गाल पर भी थप्पड मार दिया तो तीसरा
गाल कहां से लाओगे ,
जुल्म सहोगे तो जुल्म एक दिन खा जायेगा "
------
# नाथूराम_गोडसे :~ " जो तुम्हारे देश के खिलाफ बोलता ह , उसे
तोडने की बात करता है , तोडता है ..... उसे मार दो ...
धर्म से ही देश बनता है और देश के लिये प्राण लेना देना छोटी बात
"
अगर ये देश 1947 से पहले इन 5 महापुरुषो की बाते मानता तो
हमारा बड़ा सा देश कभी नहीं टूटता और
आज हम चीन और अमरीका से कहीं आगे होते
----------
अब भी देश जो बचा कुचा है उसे बचाना है तो सबको हर चीज
छोड़ इन 5 महापुरुषो की बातो को अमल करना जोग, हर कीमत पर
अन्यथा देश को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता
--------
विकास केवल हिन्दू राष्ट्र से ही संभव है, अन्यथा आप हमेशा
सेकुलरिज्म में लड़ते रहोगे,
खुद ख़त्म हो जाओगे पर राष्ट कभी विकसित नहीं हो सकता,
1947 में भारत में 17% लोग गरीब थे आज 30% है,
क्यों हो गया न सेक्युलर राष्ट्र में विकास,
1947 में Per Capita Income, भारत और जापान की एक थी
आज जापानी व्यक्ति की भारतीय से
74% अधिक है
# महाराणा_प्रताप :~ " किसी की दास्तां से कहीं अच्छा है कि
उससे लडो , मारो , जीतो , या शहीद हो जाओ ! जीना है तो गर्व से
, दास्तां में जीने से कहीं अच्छा है 1 पल गर्व से जीना "
---------
# शिवाजी_महाराज :~ " हिन्दू है तो हिन्दू धर्म की रक्षा कर , देश
पर धर्म का राज कर , हिंदवी राज्य ही ईश्वर की इच्छा , उठा
तलवार , शांति के लिये युद्ध जरुरी है , घुस कर मार "
-----
# गुरु_गोविंद :~ " हाथ को तेल के डिब्बे में कोहनी तक डालो , फिर
उस हाथ को तिल की बोरी में डालो , जितने तिल हाथ से चिपके
उतनी बार भी मुस्लिम कसम खाये तो भरोसा मत करना "
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# वीर_सावरकर :~ " हिन्दु राष्ट्र से ही भारत का विकाश संभव
.... अगर किसी ने दूसरे गाल पर भी थप्पड मार दिया तो तीसरा
गाल कहां से लाओगे ,
जुल्म सहोगे तो जुल्म एक दिन खा जायेगा "
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# नाथूराम_गोडसे :~ " जो तुम्हारे देश के खिलाफ बोलता ह , उसे
तोडने की बात करता है , तोडता है ..... उसे मार दो ...
धर्म से ही देश बनता है और देश के लिये प्राण लेना देना छोटी बात
"
अगर ये देश 1947 से पहले इन 5 महापुरुषो की बाते मानता तो
हमारा बड़ा सा देश कभी नहीं टूटता और
आज हम चीन और अमरीका से कहीं आगे होते
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अब भी देश जो बचा कुचा है उसे बचाना है तो सबको हर चीज
छोड़ इन 5 महापुरुषो की बातो को अमल करना जोग, हर कीमत पर
अन्यथा देश को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता
--------
विकास केवल हिन्दू राष्ट्र से ही संभव है, अन्यथा आप हमेशा
सेकुलरिज्म में लड़ते रहोगे,
खुद ख़त्म हो जाओगे पर राष्ट कभी विकसित नहीं हो सकता,
1947 में भारत में 17% लोग गरीब थे आज 30% है,
क्यों हो गया न सेक्युलर राष्ट्र में विकास,
1947 में Per Capita Income, भारत और जापान की एक थी
आज जापानी व्यक्ति की भारतीय से
74% अधिक है
Whatsapp की जगह स्वदेशी Jio Chat अपनाये
एक सन्देश सभी भारतीयो के नाम
क्या आप जानते है कि सभी सेलिब्रिटी जिस तरह सोशल एप में फेसबुक की जगह ज़्यादा Twitter इस्तेमाल करते है , उसी तरह Whatsapp की जगह Jio Chat इस्तेमाल कर रहे हैं। अब तक 50000000 से ज़्यादा लोगो ने डाउनलोड किया हैं।
Delete whats app
हमारे पीएम मोदी ने Make in india और digital india का नारा दिया है।
आइए पहल करें अमेरिकन एप WhatsApp की जगह इंडियन Jio Chat को अपनाएं। आखिर यह पहला भारतीय सोशल मीडिया एप है। चीनियों ने WhatsApp को ठुकरा कर मेड इन चाइना WeChat को अपनाया है, तो आखिर हम पहल कब करेंगे? Whats App एक साल इस्तेमाल करो और बंद करो उसकी एक साल की कीमत 56 रुपये है भारत में कुल 20 करोड़ भारतीय Whats App इस्तेमाल करते है तो 20 करोड × 56 रुपये = 1120 करोड रुपये भारत के बाहर जानेवाला है जानकारी के लिए कृपया ये Message सबको भेजो और jio chat डाउनलोड करो।।।
Jio Chat में Whats App से ज्यादा Function है
1-इसमें 16mb से जाएदा 50mb का विडियो भेज सकते है।
2-इसमें word ,excel और adobe की file भी भेज सकते है।
3-इसमें ग्रुप में 50 से जाएदा 499 लोग ग्रुप में ऐड कर सकते है।
4-इसमें साल का कोई चार्ज नही पड़ता है। एकदम फ्री।
5- सबसे बड़ी बात same whatsapp की तरह चलता है। यानि कहे तो interface whatsapp जैसा ही है। कुछ भी change नही है।
तो आज ही Jio Chat अपनाये।।
हमारे पीएम मोदी ने Make in india और digital india का नारा दिया है।
आइए पहल करें अमेरिकन एप WhatsApp की जगह इंडियन Jio Chat को अपनाएं। आखिर यह पहला भारतीय सोशल मीडिया एप है। चीनियों ने WhatsApp को ठुकरा कर मेड इन चाइना WeChat को अपनाया है, तो आखिर हम पहल कब करेंगे? Whats App एक साल इस्तेमाल करो और बंद करो उसकी एक साल की कीमत 56 रुपये है भारत में कुल 20 करोड़ भारतीय Whats App इस्तेमाल करते है तो 20 करोड × 56 रुपये = 1120 करोड रुपये भारत के बाहर जानेवाला है जानकारी के लिए कृपया ये Message सबको भेजो और jio chat डाउनलोड करो।।।
Jio Chat में Whats App से ज्यादा Function है
1-इसमें 16mb से जाएदा 50mb का विडियो भेज सकते है।
2-इसमें word ,excel और adobe की file भी भेज सकते है।
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Saturday, 12 September 2015
हिन्दुओ के प्रति विचार
1-मुगल अकबर की जुबान से :- हिन्दू को दोस्ती करके हराया जा सकता है, लेकिन लड़कर नहीं !
.
2- सिकंदर की जुबान से :- जंग में उतर जाने के बाद हिन्दू को रोकना उतना ही मुश्किल है, जैसे शेर के मुँह में हाथ देने जैसा !
.
3-मोहम्मद गोरी :- अगर हिन्दू से कोई चीज चाहिए तो माँग लो.धोखे से छीन लेने से नामो निशान मिट जाता है !
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4-अंग्रेज :- "अगर हिन्दू से जीतना हो तो इनको आपस में लड़वा दो !
.
इसीलिए इन बातों को ध्यान में रखते हुए आपस में ना झगड़े और सदैव एकता बनाये रखे !
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2- सिकंदर की जुबान से :- जंग में उतर जाने के बाद हिन्दू को रोकना उतना ही मुश्किल है, जैसे शेर के मुँह में हाथ देने जैसा !
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3-मोहम्मद गोरी :- अगर हिन्दू से कोई चीज चाहिए तो माँग लो.धोखे से छीन लेने से नामो निशान मिट जाता है !
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4-अंग्रेज :- "अगर हिन्दू से जीतना हो तो इनको आपस में लड़वा दो !
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इसीलिए इन बातों को ध्यान में रखते हुए आपस में ना झगड़े और सदैव एकता बनाये रखे !
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।। गर्व से कहो "हम हिंदू हैं !" ।।
Thursday, 10 September 2015
भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमान खुद को मुसलमान कहना बंद करें।
भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमान हमारे लिए कुत्ते हैं। - सऊदी का शाह का बयान
SAUDI KING REQUESTS INDIAN & PAKISTANI MUSLIMS TO STOP PRETENDING TO BE ARABS
Riyadh: King of Saudi Arabia Abdullah bn Abdulaziz has requested Muslims from India and Pakistan to stop pretending to be Arabs because the mother tongue of Arabs is Arabic; and not Urdu, Punjabi, Sindhi, Marathi, Bengali, Gujarati, Bhojpuri, Bihari, Tamil, Telugu, Malayalam, Kannada, or other languages from Pakistani subcontinent, sources told Al-Bakistan Times.
http://albakistan.com/…/saudi-king-requests-indian-pakista…/
SAUDI KING REQUESTS INDIAN & PAKISTANI MUSLIMS TO STOP PRETENDING TO BE ARABS
Riyadh: King of Saudi Arabia Abdullah bn Abdulaziz has requested Muslims from India and Pakistan to stop pretending to be Arabs because the mother tongue of Arabs is Arabic; and not Urdu, Punjabi, Sindhi, Marathi, Bengali, Gujarati, Bhojpuri, Bihari, Tamil, Telugu, Malayalam, Kannada, or other languages from Pakistani subcontinent, sources told Al-Bakistan Times.
http://albakistan.com/…/saudi-king-requests-indian-pakista…/
Wednesday, 2 September 2015
तुलसी का पौधा
तुलसी का पौधा बता देगा, आप पर कोई मुसीबत आने वाली है।
सभी मित्रों के लिए महत्वपूर्ण है ।
सभी मित्रों के लिए महत्वपूर्ण है ।
क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही होता। अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है।
बुध ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है। अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर भी होता है। अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर बढ़ता रहता है। बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने लगते हैं।प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त आदि दोष दूर होने लगते है मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि कुछ समय हेतु प्रतिदिन बैठा जाये तो श्वास के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा मिलता है.
घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक वैद्य समान तो है ही यह वास्तु के दोष भी दूर करने में सक्षम है हमारें शास्त्र इस के गुणों से भरे पड़े है जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है यह तुलसी.... कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त दोष को दूर कर हमारे जीवन को निरोग एवम सुखमय बनाने में सक्षम है माता के समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है हम ऐसे समाज में निवास करते है कि सस्ती वस्तुएं एवम सुलभ सामग्री को शान के विपरीत समझने लगे है महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा मानते है कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे शास्त्रों में पूज्यनीय देवी के रूप में है तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते है इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र भी मानता है इसकी हवा तथा स्पर्श एवम इसका भोग दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य विशेष रूप से वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम होता है शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते है उनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है सबके गुण अलग अलग है शरीर में नाक कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की बिमारिओं पर खास प्रभाव डालती है.
वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान दे कर सम्मानित किया जा सकता है.
तुलसी का गमला रसोई के पास रखने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है पूर्व दिशा की खिडकी के पास रखने से पुत्र यदि जिद्दी हो तो उसका हठ दूर होता है यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा से बाहर है अर्थात नियंत्रण में नहीं है तो पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना किसी रूप में सन्तान को खिलाने से सन्तान आज्ञानुसार व्यवहार करने लगती है.
कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अग्नि कोण में तुलसी के पौधे को कन्या नित्य जल अर्पण कर एक प्रदक्षिणा करने से विवाह जल्दी और अनुकूल स्थान में होता है सारी बाधाए दूर होती है.
यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी कि गमले पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध अर्पण करे व मिठाई का भोग रख कर किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने से व्यवसाय में सफलता मिलती है
नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली जमीन या किसी गमले आदि जहाँ पर भी मिटटी हो वहां पर सोमवार को तुलसी के सोलह बीज किसी सफेद कपडे में बाँध कर सुबह दबा दे सम्मन की वृद्धि होगी. नित्य पंचामृत बना कर यदि घर कि महिला शालिग्राम जी का अभिषेक करती है तो घर में वास्तु दोष हो ही नहीं सकता...
[ समस्त उपाय अवश्य करें।]
[ समस्त उपाय अवश्य करें।]
असाध्य रोगों को भी जड़ से खत्म करने में सक्षम तुलसी
तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पौधा है। इसके सभी भाग अलौकिक शक्ति और तत्वों से परिपूर्ण माने गए हैं। तुलसी के पौधे से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुध्द रखने में तो अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ही है, भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तुलसी का सदियों में औषधीय रूप में प्रयोग होता चला आ रहा है। तुलसी दल का प्रयोग खांसी, विष, श्वांस, कफ, बात, हिचकी और भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को दूर करता है। इसके अलावा तुलसी बलवर्ध्दक होती है तथा सिरदर्द स्मरण शक्ति, आंखों में जलन, मुंह में छाले, दमा, ज्वर, पेशाब में जलन व विभिन्न प्रकार के रक्त व हृदय संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी सहायक है। तुलसी में छोटे-छोटे रोगों से लेकर असाध्य रोगों को भी जड़ में खत्म कर देने की अद्भुत क्षमता है। इसके गुणों को जानकर और तुलसी का उचित उपयोग कर हमें अत्यधिक लाभ मिल सकता है। तो लीजिए डाल लेते है तुलसी के महत्वपूर्ण औषधीय उपयोगी एवं गुणों पर एक नजर :-
* श्वेत तुलसी बच्चों के कफ विकार, सर्दी, खांसी इत्यादि में लाभदायक है।
* कफ निवारणार्थ तुलसी को काली मिर्च पाउडर के साथ लेने से बहुत लाभ होता है।
* गले में सूजन तथा गले की खराश दूर करने के लिए तुलसी के बीज का सेवन शक्कर के साथ करने से बहुत राहत मिलती।
* तुलसी के पत्तों को काली मिर्च, सौंठ तथा चीनी के साथ पानी में उबालकर पीने में खांसी, जुकाम, फ्लू और बुखार में फायदा पहुंचता है।
* पेट में दर्द होने पर तुलसी रस और अदरक का रस समान मात्रा में लेने से दर्द में राहत मिलती है। इसके उपयोग से पाचन क्रिया में भी सुधार होता है।
* कान के साधारण दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस गुनगुना करके डाले।
* नित्य प्रति तुलसी की पत्तियां चबाकर खाने से रक्त साफ होता है।
* चर्म रोग होने पर तुलसी के पत्तों के रस के नींबू के रस में मिलाकर लगाने से फायदा होता है।
* तुलसी के पत्तों का रस पीने से शरीर में ताकत और स्मरण शक्ति में वृध्दि होती है।
* प्रसव के समय स्त्रियों को तुलसी के पत्तों का रस देन से प्रसव पीड़ा कम होती है।
* तुलसी की जड़ का चूर्ण पान में रखकर खिलाने से स्त्रियों का अनावश्यक रक्तस्राव बंद होता है।
* जहरीले कीड़े या सांप के काटने पर तुलसी की जड़ पीसकर काटे गए स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है।
* फोड़े फुंसी आदि पर तुलसी के पत्तो का लेप लाभदायक होता है।
* तुलसी की मंजरी और अजवायन देने से चेचक का प्रभाव कम होता है।
* सफेद दाग, झाईयां, कील, मुंहासे आदि हो जाने पर तुलसी के रस में समान भाग नींबू का रस मिलाकर 24 घंट तक धूप में रखे। थोड़ा गाढ़ा होने पर चेहरे पर लगाएं। इसके नियमित प्रयोग से झाईयां, काले दाग, कीले आदि नष्ट होकर चेहरा बेदाग हो जाता है।
* तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल, वीर्य और संतोनोत्पति की क्षमता में वृध्दि होती है।
* तुलसी का प्रयोग मलेरिया बुखार के प्रकोप को भी कम करता है।
* तुलसी का शर्बत, अबलेह इत्यादि बनाकर पीने से मन शांत रहता है।
* आलस्य निराशा, कफ, सिरदर्द, जुकाम, खांसी, शरीर की ऐठन, अकड़न इत्यादि बीमारियों को दूर करने के लिए तुलसी की जाय का सेवन करें।
धूम्रपान का त्याग अस्थमा में बचाव
अस्थमा की संभावना को कम करने के लिये तथा उस पर नियंत्रण पाने के लिये सबसे जरूरी है धूम्रपान का त्याग। यह न केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है बल्कि उसके आसपास रहने वाले व्यक्ति भी इसके बुरे प्रभाव से बचे नहीं रहते। इसके अलावा अस्थमा के दौरे पर नियंत्रण के लिये किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। साफ व प्रदूषणरहित वातावरण में रहें। जिस खाद्य या पेय पदार्थ से आपको एलर्जी है, उसका सेवन न करें। पालतू पशुओं से दूरी बनाए रखें।
अच्छी नींद के लिये
नींद के प्रति सकारात्मक रवैये अधिक महत्वपूर्ण है बजाय कृत्रिम उपायों द्वारा नींद लेने के। अच्छी नींद के लिये इन उपायों पर गौर फरमाएं :-
* अनिद्रा रोग में निद्रा न आने की चिन्ता से तबीयत बिगड़ती है। आप आराम से लेटे रहिये और इस बात की चिन्ता मत कीजिए कि आपको नींद नहीं आती।
* प्रत्यन कीजिए कि सोने से पहले आप दिनभर की कठिनाइयों और आने वाले कल के बारे में न सोचें।
* कोई अच्छी पुस्तक पढ़ने का यत्न कीजिए। इससे अनिद्रा या चिन्ता संबंधी विचार एक तरफ हट जाएंगे और नींद आ जाएगी।
शहद के कुछ औषधीय प्रयोग
* शहद आंतों को शक्ति और बल प्रदान करता है। शहद का सेवन करने से आंतों में विषाक्त द्रव्य जमा नहीं होते। यह कृमियों को भी मारता है।
* पुराने रोग, पुरानी कब्ज, अतिसार तथा प्रवाहिका के लिये भी शहद उपयोगी सिध्द होता है।
* शहद के सेवन से छाती में जमा बलगम सरलता से बाहर निकल जाता है। इससे दमा व खांसी के रोगी को बहुत राहत मिलती है।
* शहद क्षय रोग में भी लाभ पहुंचाता है।
* शहद के सेवन से दिमाग तरोताजा और तंदरुस्त रहता है। शहद उन लोगों के लिए तो बहुत लाभप्रद है, जो दिमागी कार्य करते हैं।
तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पौधा है। इसके सभी भाग अलौकिक शक्ति और तत्वों से परिपूर्ण माने गए हैं। तुलसी के पौधे से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुध्द रखने में तो अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ही है, भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तुलसी का सदियों में औषधीय रूप में प्रयोग होता चला आ रहा है। तुलसी दल का प्रयोग खांसी, विष, श्वांस, कफ, बात, हिचकी और भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को दूर करता है। इसके अलावा तुलसी बलवर्ध्दक होती है तथा सिरदर्द स्मरण शक्ति, आंखों में जलन, मुंह में छाले, दमा, ज्वर, पेशाब में जलन व विभिन्न प्रकार के रक्त व हृदय संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी सहायक है। तुलसी में छोटे-छोटे रोगों से लेकर असाध्य रोगों को भी जड़ में खत्म कर देने की अद्भुत क्षमता है। इसके गुणों को जानकर और तुलसी का उचित उपयोग कर हमें अत्यधिक लाभ मिल सकता है। तो लीजिए डाल लेते है तुलसी के महत्वपूर्ण औषधीय उपयोगी एवं गुणों पर एक नजर :-
* श्वेत तुलसी बच्चों के कफ विकार, सर्दी, खांसी इत्यादि में लाभदायक है।
* कफ निवारणार्थ तुलसी को काली मिर्च पाउडर के साथ लेने से बहुत लाभ होता है।
* गले में सूजन तथा गले की खराश दूर करने के लिए तुलसी के बीज का सेवन शक्कर के साथ करने से बहुत राहत मिलती।
* तुलसी के पत्तों को काली मिर्च, सौंठ तथा चीनी के साथ पानी में उबालकर पीने में खांसी, जुकाम, फ्लू और बुखार में फायदा पहुंचता है।
* पेट में दर्द होने पर तुलसी रस और अदरक का रस समान मात्रा में लेने से दर्द में राहत मिलती है। इसके उपयोग से पाचन क्रिया में भी सुधार होता है।
* कान के साधारण दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस गुनगुना करके डाले।
* नित्य प्रति तुलसी की पत्तियां चबाकर खाने से रक्त साफ होता है।
* चर्म रोग होने पर तुलसी के पत्तों के रस के नींबू के रस में मिलाकर लगाने से फायदा होता है।
* तुलसी के पत्तों का रस पीने से शरीर में ताकत और स्मरण शक्ति में वृध्दि होती है।
* प्रसव के समय स्त्रियों को तुलसी के पत्तों का रस देन से प्रसव पीड़ा कम होती है।
* तुलसी की जड़ का चूर्ण पान में रखकर खिलाने से स्त्रियों का अनावश्यक रक्तस्राव बंद होता है।
* जहरीले कीड़े या सांप के काटने पर तुलसी की जड़ पीसकर काटे गए स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है।
* फोड़े फुंसी आदि पर तुलसी के पत्तो का लेप लाभदायक होता है।
* तुलसी की मंजरी और अजवायन देने से चेचक का प्रभाव कम होता है।
* सफेद दाग, झाईयां, कील, मुंहासे आदि हो जाने पर तुलसी के रस में समान भाग नींबू का रस मिलाकर 24 घंट तक धूप में रखे। थोड़ा गाढ़ा होने पर चेहरे पर लगाएं। इसके नियमित प्रयोग से झाईयां, काले दाग, कीले आदि नष्ट होकर चेहरा बेदाग हो जाता है।
* तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल, वीर्य और संतोनोत्पति की क्षमता में वृध्दि होती है।
* तुलसी का प्रयोग मलेरिया बुखार के प्रकोप को भी कम करता है।
* तुलसी का शर्बत, अबलेह इत्यादि बनाकर पीने से मन शांत रहता है।
* आलस्य निराशा, कफ, सिरदर्द, जुकाम, खांसी, शरीर की ऐठन, अकड़न इत्यादि बीमारियों को दूर करने के लिए तुलसी की जाय का सेवन करें।
धूम्रपान का त्याग अस्थमा में बचाव
अस्थमा की संभावना को कम करने के लिये तथा उस पर नियंत्रण पाने के लिये सबसे जरूरी है धूम्रपान का त्याग। यह न केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है बल्कि उसके आसपास रहने वाले व्यक्ति भी इसके बुरे प्रभाव से बचे नहीं रहते। इसके अलावा अस्थमा के दौरे पर नियंत्रण के लिये किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। साफ व प्रदूषणरहित वातावरण में रहें। जिस खाद्य या पेय पदार्थ से आपको एलर्जी है, उसका सेवन न करें। पालतू पशुओं से दूरी बनाए रखें।
अच्छी नींद के लिये
नींद के प्रति सकारात्मक रवैये अधिक महत्वपूर्ण है बजाय कृत्रिम उपायों द्वारा नींद लेने के। अच्छी नींद के लिये इन उपायों पर गौर फरमाएं :-
* अनिद्रा रोग में निद्रा न आने की चिन्ता से तबीयत बिगड़ती है। आप आराम से लेटे रहिये और इस बात की चिन्ता मत कीजिए कि आपको नींद नहीं आती।
* प्रत्यन कीजिए कि सोने से पहले आप दिनभर की कठिनाइयों और आने वाले कल के बारे में न सोचें।
* कोई अच्छी पुस्तक पढ़ने का यत्न कीजिए। इससे अनिद्रा या चिन्ता संबंधी विचार एक तरफ हट जाएंगे और नींद आ जाएगी।
शहद के कुछ औषधीय प्रयोग
* शहद आंतों को शक्ति और बल प्रदान करता है। शहद का सेवन करने से आंतों में विषाक्त द्रव्य जमा नहीं होते। यह कृमियों को भी मारता है।
* पुराने रोग, पुरानी कब्ज, अतिसार तथा प्रवाहिका के लिये भी शहद उपयोगी सिध्द होता है।
* शहद के सेवन से छाती में जमा बलगम सरलता से बाहर निकल जाता है। इससे दमा व खांसी के रोगी को बहुत राहत मिलती है।
* शहद क्षय रोग में भी लाभ पहुंचाता है।
* शहद के सेवन से दिमाग तरोताजा और तंदरुस्त रहता है। शहद उन लोगों के लिए तो बहुत लाभप्रद है, जो दिमागी कार्य करते हैं।
कुछ मित्रो ने इसे अन्ध विश्वास करार दिया है सो ये उनकी सोच हो सकती है | इसमें किसी को बाध्य भी नहीं किया गया है । तुलसी की देखभाल , उपाय के बारे में जानकारी दी गई है । ये तो पुराणों में भी लिखा हुआ है कि तुलसी का महत्व क्या है । हिन्दू होकर भी अगर प्रतिकूल विचार रखते हो तो धन्य है आप ।
इति शुभम । आप सभी का समय शुभ हो।
हर हर महादेव
हर हर महादेव
Tuesday, 1 September 2015
क्या आप जानते है की कोई मीडिया समूह हिन्दू या हिन्दू संघठनो के प्रति इतना बैरभाव क्यों रखती है
क्या आप जानते है की कोई मीडिया समूह हिन्दू या हिन्दू संघठनो के प्रति इतना बैरभाव क्यों रखती है. -भारत में चलने वाले न्यूज़ चैनल, अखबार वास्तव में भारत के है ही नहीं…
सन २००५ में एक फ़्रांसिसी पत्रकार भारत दौरे पर आया उसका नाम फ़्रैन्कोईस था उसने भारत में हिंदुत्व के ऊपर हो रहे अत्याचारों के बारे में अध्ययन किया और उसने फिर बहुत हद तक इस कार्य के लिए मीडिया को जिम्मेवार ठहराया. फिर उसने पता करना शुरू किया तो वह आश्चर्य चकित रह गया की भारत में चलने वाले न्यूज़ चैनल, अखबार वास्तव में भारत के है ही नहीं… फीर मैंने एक लम्बा अध्ययन किया उसमे निम्नलिखित जानकारी निकल कर आई जो मै आज सार्वजानिक कर रहा हु. विभिन्न मीडिया समूह और उनका आर्थिक श्रोत…
…
१- दि हिन्दू … जोशुआ सोसाईटी, बर्न, स्विट्जरलैंड, इसके संपादक एन राम, इनकी पत्नी ईसाई में बदल चुकी है.
…
१- दि हिन्दू … जोशुआ सोसाईटी, बर्न, स्विट्जरलैंड, इसके संपादक एन राम, इनकी पत्नी ईसाई में बदल चुकी है.
२- एन डी टी वी… गोस्पेल ऑफ़ चैरिटी, स्पेन, यूरोप
३- सी.एन.एन, आई.बी.एन.७, सी.एन.बी.सी… १००% आर्थिक सहयोग द्वारा साउदर्न बैपिटिस्ट चर्च
४- दि टाइम्स ऑफ़ इंडिया, नवभारत, टाइम्स नाउ… बेनेट एंड कोल्मान द्वारा संचालित, ८०% फंड वर्ल्ड क्रिस्चियन काउंसिल द्वारा, बचा हुआ २०% एक अँगरेज़ और इटैलियन द्वारा दिया जाता है. इटैलियन व्यक्ति का नाम रोबेर्ट माइन्दो है जो यु.पी.ए. अध्यक्चा सोनिया गाँधी का निकट सम्बन्धी है.
५-हिन्दुस्तान टाइम्स, दैनिक हिन्दुस्तान… मालिक बिरला ग्रुप लेकिन टाइम्स ग्रुप के साथ जोड़ दिया गया है...
६- इंडियन एक्सप्रेस… इसे दो भागो में बाट दिया गया है, दि इंडियन एक्सप्रेस और न्यू इंडियन एक्सप्रेस (साउदर्न एडिसन) - Acts Ministries has major stake in the Indian express and later is still with the Indian कौन्तेर्पर्त
७- दैनिक जागरण ग्रुप… इसके एक प्रबंधक समाजवादी पार्टी से राज्य सभा में सांसद है… यह एक मुस्लिम्वादी पार्टी है.
८- दैनिक सहारा .. इसके प्रबंधन सहारा समूह देखती है इसके निदेशक सुब्रोतो राय भी समाजवादी पार्टी के बहुत मुरीद है
९- आंध्र ज्योति..हैदराबाद की एक मुस्लिम पार्टी एम् आई एम् (MIM ) ने इसे कांग्रेस के एक मंत्री के साथ कुछ साल पहले खरीद लिया
१०- स्टार टीवी ग्रुप…सेन्ट पीटर पोंतिफिसिअल चर्च, मेलबर्न,ऑस्ट्रेलिया
११- दि स्टेट्स मैन… कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया द्वारा संचालित
इस तरह से एक लम्बा लिस्ट हमारे सामने है जिससे ये पता चलता है की भारत की मीडिया भारतीय बिलकुल भी नहीं है.. और जब इनकी फंडिंग विदेश से होती है है तो भला भारत के बारे में कैसे सोच सकते है... अपने को पाक साफ़ बताने वाली मीडिया के भ्रस्ताचार की चर्चा करना यहाँ पर पूर्णतया उचित ही होगा,,,, बरखा दत्त जैसे लोग जो की भ्रस्ताचार का रिकार्ड कायम किया है उनके भ्रस्ताचरण की चर्चा दूर दूर तक है, इसके अलावा आप लोगो को सायद न मालूम हो पर आपको बता दू की ये १००% सही बात है की NDTV की एंकर बरखादत्त ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है....
प्रभु चावला जो की खुद रिलायंस के मामले में सुप्रीम कोर्ट में फैसला फिक्स कराते हुए पकडे गए उनके सुपुत्र आलोक चावला, अमर उजाला के बरेली संस्करण में घोटाला करते हुए पकडे गए.
प्रभु चावला जो की खुद रिलायंस के मामले में सुप्रीम कोर्ट में फैसला फिक्स कराते हुए पकडे गए उनके सुपुत्र आलोक चावला, अमर उजाला के बरेली संस्करण में घोटाला करते हुए पकडे गए.
दैनिक जागरण ग्रुप ने अवैध तरीके से एक ही रजिस्ट्रेसन नो. पर बिहार में कई जगह पर गलत ढंग से स्थानीय संस्करण प्रकाशित किया जो की कई साल बाद में पकड़ में आया और इन अवैध संस्करणों से सरकार को २०० करोड़ का घटा हुआ....
दैनिक हिन्दुस्तान ने भी जागरण के नक्शेकदम पर चलते हुए यही काम किया उसने भी २०० करोड़ रुपये का नुकशान सरकार को पहुचाया इसके लिए हिन्दुस्तान के मुख्य संपादक सशी शेखर के ऊपर मुक़दमा भी दर्ज हुआ है.. शायद यही कारण है की भारत की मीडिया भी काले धन, लोकपाल जैसे
मुद्दों पर सरकार के साथ ही भाग लेती है.....
मुद्दों पर सरकार के साथ ही भाग लेती है.....
सभी लोगो से अनुरोध है की इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो के पास पहुचाये ताकि दूसरो को नंगा करने वाले मीडिया की भी सच्चाई का पता लग सके....
.वन्दे मातरम् —
BY जे0ई0
देशभक्त नाथूराम गोडसे
आमतौर पर बिल्कुल सादा और सरल जीवन जीने वाले, राजनीतिक छल-कपट से कोसों दूर, जनसेवी,ईश्वरभक्त,साधारण कार्यकर्ताओं से भी बिल्कुल आत्मीयता से मिलने वाले,स्वयं से सैकड़ों किलोमीटर दूर रहकर भी हम जैसे अतिसाधारण लोगों की समस्याएँ सुनकर उन्हें दूर करने वाले उन्नाव के सांसद एवं महान संत श्री स्वामी साक्षीजी महाराज ने आखिर नाथूराम गोडसे को देशभक्त क्यों कह दिया..??
आखिर क्यों आज तक नाथूराम जी की अस्थियां विसर्जित नहीं की गयीं..? आखिर क्या कहा था उन्होनें अपने अन्तिम बयान में..?
इसके लिए आप महान राष्ट्रवादी नाथूराम गोडसे जी के कोर्ट में दिए गए बयान को आज RTI के माध्यम से मंगवा कर पढ़ सकते है।
कुछ कारण निम्न है और अंत में पुस्तक का नाम भी है।
1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए। गाँधी जी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया।
आखिर क्यों आज तक नाथूराम जी की अस्थियां विसर्जित नहीं की गयीं..? आखिर क्या कहा था उन्होनें अपने अन्तिम बयान में..?
इसके लिए आप महान राष्ट्रवादी नाथूराम गोडसे जी के कोर्ट में दिए गए बयान को आज RTI के माध्यम से मंगवा कर पढ़ सकते है।
कुछ कारण निम्न है और अंत में पुस्तक का नाम भी है।
1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए। गाँधी जी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया।
2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गाँधी जी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं, किन्तु गाँधी जी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया।
3. 6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गाँधी जी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।
4.मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 15000 हिन्दु मारे गए व 20000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गाँधी जी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन्
खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।
खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।
5.1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गाँधी जी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।
6. गाँधी जी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
7. गाँधी जी ने जहाँ एक ओर काश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को काश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया जो पाकिस्तान समर्थक थे।
8. यह गान्धी ही था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।
9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समित (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।
10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु
गान्धी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहा था, अत: सुभाष बाबू ने दूखी होकर निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।
गान्धी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहा था, अत: सुभाष बाबू ने दूखी होकर निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।
11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
12. 14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि पहले उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया।
14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को सरकारी पैसे की बर्बादी कहकर निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर
दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने
दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया।
दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया।
16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था।
केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी और उसी पैसे का भारत के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल किया।
केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी और उसी पैसे का भारत के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल किया।
17.गाँधी ने गौ हत्या पर पर्तिबंध लगाने का विरोध किया।
18. द्वितीय विश्वयुद्ध मे गाँधी ने भारतीय सैनिकों को ब्रिटेन का लिए हथियार उठा कर लड़ने के लिए प्रेरित किया, जबकि वो हमेशा अहिंसा की पीपनी बजाते है
.19. क्या ५०००० हिंदू की जान से बढ़ कर थी मुसलमान की ५ टाइम की नमाज़? विभाजन के बाद दिल्ली की जमा मस्जिद मे पानी और ठंड से बचने के लिए ५००० हिंदू ने जामा मस्जिद मे पनाह ले रखी थी...मुसलमानो ने इसका विरोध किया पर हिंदू को ५
टाइम नमाज़ से ज़यादा कीमती अपनी जान लगी.. इसलिए उस ने माना कर दिया. .. उस समय गाँधी नाम का वो शैतान बरसते पानी मे
बैठ गया धरने पर की जब तक हिंदू को मस्जिद से
भगाया नही जाता तब तक गाँधी यहा से नही जाएगा....फिर पुलिस ने मजबूर हो कर उन हिंदू को मार मार कर बरसते पानी मे भगाया....और वो हिंदू--- गाँधी मरता है तो मरने दो ---- के नारे लगा करवाहा से भीगते हुए गये थे...,,, रिपोर्ट --- जस्टिस कपूर.. सुप्रीम
कोर्ट..... फॉर गाँधी वध क्यो ?
टाइम नमाज़ से ज़यादा कीमती अपनी जान लगी.. इसलिए उस ने माना कर दिया. .. उस समय गाँधी नाम का वो शैतान बरसते पानी मे
बैठ गया धरने पर की जब तक हिंदू को मस्जिद से
भगाया नही जाता तब तक गाँधी यहा से नही जाएगा....फिर पुलिस ने मजबूर हो कर उन हिंदू को मार मार कर बरसते पानी मे भगाया....और वो हिंदू--- गाँधी मरता है तो मरने दो ---- के नारे लगा करवाहा से भीगते हुए गये थे...,,, रिपोर्ट --- जस्टिस कपूर.. सुप्रीम
कोर्ट..... फॉर गाँधी वध क्यो ?
२०. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी लगाई जानी थी, सुबह करीब 8 बजे। लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम करीब सात बजे फांसी लगा दी गई और शव रिश्तेदारों को न देकर रातोंरात ले जाकर ब्यास नदी के किनारे जला दिए गए। असल में मुकदमे
की पूरी कार्यवाही के दौरान भगत सिंह ने जिस तरह अपने विचार
सबके सामने रखे थे और अखबारों ने जिस तरह इन
विचारों को तवज्जो दी थी, उससे ये तीनों, खासकर भगत सिंह
हिंदुस्तानी अवाम के नायक बन गए थे। उनकी लोकप्रियता से
राजनीतिक लोभियों को समस्या होने लगी थी।
उनकी लोकप्रियता महात्मा गांधी को मात देनी लगी थी। कांग्रेस
तक में अंदरूनी दबाव था कि इनकी फांसी की सज़ा कम से कम कुछ
दिन बाद होने वाले पार्टी के सम्मेलन तक टलवा दी जाए। लेकिन
अड़ियल महात्मा ने ऐसा नहीं होने दिया। चंद दिनों के भीतर
ही ऐतिहासिक गांधी-इरविन समझौता हुआ जिसमें ब्रिटिश सरकार
सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर राज़ी हो गई। सोचिए,
अगर गांधी ने दबाव बनाया होता तो भगत सिंह भी रिहा हो सकते थे
क्योंकि हिंदुस्तानी जनता सड़कों पर उतरकर उन्हें ज़रूर राजनीतिक
कैदी मनवाने में कामयाब रहती। लेकिन गांधी दिल से ऐसा नहीं चाहते
थे क्योंकि तब भगत सिंह के आगे इन्हें किनारे होना पड़ता।
पढ़िये 'गांधी बेनकाब - हंसराज रहबर' और 'गाँधी वध क्यों'?
की पूरी कार्यवाही के दौरान भगत सिंह ने जिस तरह अपने विचार
सबके सामने रखे थे और अखबारों ने जिस तरह इन
विचारों को तवज्जो दी थी, उससे ये तीनों, खासकर भगत सिंह
हिंदुस्तानी अवाम के नायक बन गए थे। उनकी लोकप्रियता से
राजनीतिक लोभियों को समस्या होने लगी थी।
उनकी लोकप्रियता महात्मा गांधी को मात देनी लगी थी। कांग्रेस
तक में अंदरूनी दबाव था कि इनकी फांसी की सज़ा कम से कम कुछ
दिन बाद होने वाले पार्टी के सम्मेलन तक टलवा दी जाए। लेकिन
अड़ियल महात्मा ने ऐसा नहीं होने दिया। चंद दिनों के भीतर
ही ऐतिहासिक गांधी-इरविन समझौता हुआ जिसमें ब्रिटिश सरकार
सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर राज़ी हो गई। सोचिए,
अगर गांधी ने दबाव बनाया होता तो भगत सिंह भी रिहा हो सकते थे
क्योंकि हिंदुस्तानी जनता सड़कों पर उतरकर उन्हें ज़रूर राजनीतिक
कैदी मनवाने में कामयाब रहती। लेकिन गांधी दिल से ऐसा नहीं चाहते
थे क्योंकि तब भगत सिंह के आगे इन्हें किनारे होना पड़ता।
पढ़िये 'गांधी बेनकाब - हंसराज रहबर' और 'गाँधी वध क्यों'?
नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान...
जिसे सुनकर न्यायालय में उपस्थित लोगों की आँखों से आंसू बहने लगे थे जिसमे से कई तो फूट-फूट कर रोने लगे थे|
एक जज महोदय ने अपनी टिप्पणी में लिखा था की यदि उस समय अदालत में उपस्थित लोगों को जूरी बना जाता और उनसे फैसला देने को कहा जाता तो निसंदेह वे प्रचंड बहुमत से
नाथूराम के निर्दोष होने का निर्देश देते |
नाथूराम जी ने कोर्ट में कहा -- सम्मान ,कर्तव्य और अपने देश वासियों के प्रति प्यार कभी कभी हमे अहिंसा के सिद्धांत से हटने के लिए बाध्य कर देता है |
महात्मा गाँधी अपने लिए जूरी और
जज दोनों थे |
गाँधी ने मुस्लिमो को खुश करने के लिए हिंदी भाषा के सौंदर्य और सुन्दरता के साथ बलात्कार किया |
गाँधी के सारे प्रयोग केवल और केवल हिन्दुओं की कीमत पर किये जाते थे
जो कांग्रेस अपनी देश भक्ति और समाज वाद का दंभ
भरा करती थी उसी ने गुप्त रूप से पकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने
नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया |
मुस्लिम तुस्टीकरण की नीति के कारण भारत माता के टुकड़े
कर दिए गये और 15 अगस्त 1947 के बाद देश का एक तिहाई
भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई |
जब कांग्रेस के शीर्ष नेताओ ने गांधी की सहमति से इस देश
को काट डाला जिसे हम पूजा की वस्तु मानते है
तो मेरा मस्तिष्क भयंकर क्रोध से भर गया, मैं साहस पूर्वक
कहता हूँ कि गाँधी अपने कर्तव्य में असफल हो गये उन्होंने
स्वयं को पाकिस्तान का का पिता होना सिद्ध किया|
में कहता हु की मेरी गोलियां एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई
थी जिसकी नीतियों और कार्यो से करोडों हिन्दुओ को केवल
बर्बादी और विनाश ही मिला और ऐसे कोई
क़ानूनी प्रक्रिया नहीं थी जिसके द्वारा उस
अपराधी को सजा दिलाई जा सके इसलिये मैंने इस घातक
रास्ते का अनुसरण किया|
मैं अपने लिए माफ़ी की गुजारिश नहीं करूँगा जो मैंने किया उस
पर मुझे गर्व है| मुझे कोई संदेह नहीं है की इतिहास के
इमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में
किसी दिन इसका सही मूल्यांकन करेंगे |
जब तक सिन्धु नदी भारत के ध्वज के नीछे से ना बहे तब तक
मेरी अस्थियों का विसर्जन मत करना..|
नोट- अमर बलिदानी पंडित नाथूराम गोडसे
जी की अस्थियाँ आज तक विसर्जित नहीं की गयीं हैं|
जिसे सुनकर न्यायालय में उपस्थित लोगों की आँखों से आंसू बहने लगे थे जिसमे से कई तो फूट-फूट कर रोने लगे थे|
एक जज महोदय ने अपनी टिप्पणी में लिखा था की यदि उस समय अदालत में उपस्थित लोगों को जूरी बना जाता और उनसे फैसला देने को कहा जाता तो निसंदेह वे प्रचंड बहुमत से
नाथूराम के निर्दोष होने का निर्देश देते |
नाथूराम जी ने कोर्ट में कहा -- सम्मान ,कर्तव्य और अपने देश वासियों के प्रति प्यार कभी कभी हमे अहिंसा के सिद्धांत से हटने के लिए बाध्य कर देता है |
महात्मा गाँधी अपने लिए जूरी और
जज दोनों थे |
गाँधी ने मुस्लिमो को खुश करने के लिए हिंदी भाषा के सौंदर्य और सुन्दरता के साथ बलात्कार किया |
गाँधी के सारे प्रयोग केवल और केवल हिन्दुओं की कीमत पर किये जाते थे
जो कांग्रेस अपनी देश भक्ति और समाज वाद का दंभ
भरा करती थी उसी ने गुप्त रूप से पकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने
नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया |
मुस्लिम तुस्टीकरण की नीति के कारण भारत माता के टुकड़े
कर दिए गये और 15 अगस्त 1947 के बाद देश का एक तिहाई
भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई |
जब कांग्रेस के शीर्ष नेताओ ने गांधी की सहमति से इस देश
को काट डाला जिसे हम पूजा की वस्तु मानते है
तो मेरा मस्तिष्क भयंकर क्रोध से भर गया, मैं साहस पूर्वक
कहता हूँ कि गाँधी अपने कर्तव्य में असफल हो गये उन्होंने
स्वयं को पाकिस्तान का का पिता होना सिद्ध किया|
में कहता हु की मेरी गोलियां एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई
थी जिसकी नीतियों और कार्यो से करोडों हिन्दुओ को केवल
बर्बादी और विनाश ही मिला और ऐसे कोई
क़ानूनी प्रक्रिया नहीं थी जिसके द्वारा उस
अपराधी को सजा दिलाई जा सके इसलिये मैंने इस घातक
रास्ते का अनुसरण किया|
मैं अपने लिए माफ़ी की गुजारिश नहीं करूँगा जो मैंने किया उस
पर मुझे गर्व है| मुझे कोई संदेह नहीं है की इतिहास के
इमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में
किसी दिन इसका सही मूल्यांकन करेंगे |
जब तक सिन्धु नदी भारत के ध्वज के नीछे से ना बहे तब तक
मेरी अस्थियों का विसर्जन मत करना..|
नोट- अमर बलिदानी पंडित नाथूराम गोडसे
जी की अस्थियाँ आज तक विसर्जित नहीं की गयीं हैं|
भारत में इस्लामी आक्रमण एवं धर्मान्तरण की खूनी कहानी-1
भारत में इस्लामी आक्रमण एवं धर्मान्तरण की खूनी कहानी । ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ ।
मुहम्मद बिन कासिम (७१२-७१५)
मुहम्मद बिन कासिम द्वारा भारत में
चलाये गये जिहाद और धर्मान्तरण का विवरण, एक मुस्लिम इतिहासकार
अल क्रूफी द्वारा अरबी के 'चच नामा' इतिहास प्रलेख
में लिखा गया है। इस प्रलेख का अंग्रेजी में अनुवाद
एलियट और डाउसन ने किया था।
मुहम्मद बिन कासिम द्वारा भारत में
चलाये गये जिहाद और धर्मान्तरण का विवरण, एक मुस्लिम इतिहासकार
अल क्रूफी द्वारा अरबी के 'चच नामा' इतिहास प्रलेख
में लिखा गया है। इस प्रलेख का अंग्रेजी में अनुवाद
एलियट और डाउसन ने किया था।
सिन्ध में जिहाद
सिन्ध के कुछ किलों को जीत लेने के बाद बिन कासिम
ने ईराक के गर्वनर अपने चाचा हज्जाज को लिखा था-
'सिवस्तान और सीसाम के किले पहले ही जीत लिये
गये हैं। हजारों गैर-मुसलमानों का धर्मान्तरण कर दिया गया है
या फिर उनका वध कर दिया गया है। मूर्ति वाले
मन्दिरों के स्थान पर मस्जिदें खड़ी कर दी गई हैं,
बना दी गई हैं।
(चच नामा अल कुफी : एलियट और डाउसन खण्ड १
पृष्ठ १६४)
जब बिन कासिम ने सिन्ध विजय की, उसने बहुत
से कैदियों को, विशेषकर हिन्दू महिला कैदियों को मुसलमानों के विलास के लिए अपने
देश भेज दिया।
राजा दाहिर की दो पुत्रियाँ- परिमल
देवी और सूरज देवी जिन्हें खलीफा के हरम
को सम्पन्न करने के लिए हज्जाज को भेजा गया था जो युद्ध के लूट के माल के पाँचवे भाग के रूप में
इस्लामी शाही खजाने के भाग के रूप में भेजा गया था।
चच नामा का विवरण इस प्रकार है- हज्जाज की बिन
कासिम को स्थाई आदेश थे कि हिन्दुओं के प्रति कोई
कृपा नहीं की जाए, उनकी गर्दनें काट दी जाएँ और
महिलाओं को और बच्चों को कैदी बना लिया जाए'
(उसी पुस्तक में पृष्ठ १७३)
हज्जाज की ये शर्तें कुरान के आदेशों के अनुरूप ही थीं। इस विषय में
कुरान का आदेश है-' जब कभी तुम्हें मिलें,
मूर्ति पूजकों का वध कर दो। उन्हें
बन्दी बना लो, घेर लो, रोक लो, घात
के हर स्थान पर उनकी प्रतीक्षा करो' (सूरा ९ आयत
५) और 'उनमें से जिस किसी को तुम्हारा हाथ पकड़ ले
उन सब को अल्लाह ने तुम्हें लूट के माल के रूप
दिया है।'
(सूरा ३३ आयत ५८)
रेवार की विजय के बाद कासिम वहाँ तीन दिन रुका।
तब उसने छः हजार हिन्दुओं का कत्ल किया। उनके
अनुयायी, आश्रित, महिलायें और बच्चे सभी गिरफ्तार
कर लिये गये। जब कैदियों की गिनती की गई तो वे
तीस हजार निकले। जिनमें चालीस हिन्दू सरदारों की पुत्रियाँ थी उन्हें हज्जाज के पास भेज
दिया गया।
(वही पुस्तक पृष्ठ १७२-१७३)
कराची का शील भंग, लूट पाट एवम् विनाश
'कासिम की सेनायें जैसे ही देवालयपुर (कराची) के
किले में पहुँचीं, उन्होंने कत्लेआम, शील भंग, लूटपाट
का मदनोत्सव मनाया। यह सब तीन दिन तक चला।
सारा किला एक जेल खाना बन गया जहाँ शरण में आये
सभी 'काफिरों' - सैनिकों और नागरिकों - का कत्ल
और अंग भंग कर दिया गया। सभी काफिर महिलाओं
को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें मुस्लिम
योद्धाओं के मध्य बाँट दिया गया। मुख्य मन्दिर
को मस्जिद बना दिया गया और उसी सुर्री पर
जहाँ भगवा ध्वज फहराता था, वहाँ इस्लाम
का हरा झंडा फहराने लगा। 'काफिरों' की तीस हजार
औरतों को बग़दाद भेज दिया गया।'
(अल-बिदौरी की फुतुह-उल-बुल्दनः अनु. एलियट और
डाउसन खण्ड १)
ब्राहम्नाबाद में कत्लेआम और लूट
'मुहम्मद बिन कासिम ने सभी काफिर (हिन्दू) सैनिकों का वध कर दिया और उनके अनुयायियों और
आश्रितों को बन्दी बना लिया। सभी बन्दियों को दास
बना दिया और प्रत्येक के मूल्य तय कर दिये गये। एक
लाख से भी अधिक 'काफिरों' को दास बनाया गया।'
(चचनामा अलकुफी : एलियट और डाउसन खण्ड १
पृष्ठ १७९)
सिन्ध के कुछ किलों को जीत लेने के बाद बिन कासिम
ने ईराक के गर्वनर अपने चाचा हज्जाज को लिखा था-
'सिवस्तान और सीसाम के किले पहले ही जीत लिये
गये हैं। हजारों गैर-मुसलमानों का धर्मान्तरण कर दिया गया है
या फिर उनका वध कर दिया गया है। मूर्ति वाले
मन्दिरों के स्थान पर मस्जिदें खड़ी कर दी गई हैं,
बना दी गई हैं।
(चच नामा अल कुफी : एलियट और डाउसन खण्ड १
पृष्ठ १६४)
जब बिन कासिम ने सिन्ध विजय की, उसने बहुत
से कैदियों को, विशेषकर हिन्दू महिला कैदियों को मुसलमानों के विलास के लिए अपने
देश भेज दिया।
राजा दाहिर की दो पुत्रियाँ- परिमल
देवी और सूरज देवी जिन्हें खलीफा के हरम
को सम्पन्न करने के लिए हज्जाज को भेजा गया था जो युद्ध के लूट के माल के पाँचवे भाग के रूप में
इस्लामी शाही खजाने के भाग के रूप में भेजा गया था।
चच नामा का विवरण इस प्रकार है- हज्जाज की बिन
कासिम को स्थाई आदेश थे कि हिन्दुओं के प्रति कोई
कृपा नहीं की जाए, उनकी गर्दनें काट दी जाएँ और
महिलाओं को और बच्चों को कैदी बना लिया जाए'
(उसी पुस्तक में पृष्ठ १७३)
हज्जाज की ये शर्तें कुरान के आदेशों के अनुरूप ही थीं। इस विषय में
कुरान का आदेश है-' जब कभी तुम्हें मिलें,
मूर्ति पूजकों का वध कर दो। उन्हें
बन्दी बना लो, घेर लो, रोक लो, घात
के हर स्थान पर उनकी प्रतीक्षा करो' (सूरा ९ आयत
५) और 'उनमें से जिस किसी को तुम्हारा हाथ पकड़ ले
उन सब को अल्लाह ने तुम्हें लूट के माल के रूप
दिया है।'
(सूरा ३३ आयत ५८)
रेवार की विजय के बाद कासिम वहाँ तीन दिन रुका।
तब उसने छः हजार हिन्दुओं का कत्ल किया। उनके
अनुयायी, आश्रित, महिलायें और बच्चे सभी गिरफ्तार
कर लिये गये। जब कैदियों की गिनती की गई तो वे
तीस हजार निकले। जिनमें चालीस हिन्दू सरदारों की पुत्रियाँ थी उन्हें हज्जाज के पास भेज
दिया गया।
(वही पुस्तक पृष्ठ १७२-१७३)
कराची का शील भंग, लूट पाट एवम् विनाश
'कासिम की सेनायें जैसे ही देवालयपुर (कराची) के
किले में पहुँचीं, उन्होंने कत्लेआम, शील भंग, लूटपाट
का मदनोत्सव मनाया। यह सब तीन दिन तक चला।
सारा किला एक जेल खाना बन गया जहाँ शरण में आये
सभी 'काफिरों' - सैनिकों और नागरिकों - का कत्ल
और अंग भंग कर दिया गया। सभी काफिर महिलाओं
को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें मुस्लिम
योद्धाओं के मध्य बाँट दिया गया। मुख्य मन्दिर
को मस्जिद बना दिया गया और उसी सुर्री पर
जहाँ भगवा ध्वज फहराता था, वहाँ इस्लाम
का हरा झंडा फहराने लगा। 'काफिरों' की तीस हजार
औरतों को बग़दाद भेज दिया गया।'
(अल-बिदौरी की फुतुह-उल-बुल्दनः अनु. एलियट और
डाउसन खण्ड १)
ब्राहम्नाबाद में कत्लेआम और लूट
'मुहम्मद बिन कासिम ने सभी काफिर (हिन्दू) सैनिकों का वध कर दिया और उनके अनुयायियों और
आश्रितों को बन्दी बना लिया। सभी बन्दियों को दास
बना दिया और प्रत्येक के मूल्य तय कर दिये गये। एक
लाख से भी अधिक 'काफिरों' को दास बनाया गया।'
(चचनामा अलकुफी : एलियट और डाउसन खण्ड १
पृष्ठ १७९)
सुबुक्तगीन (९७७-९९७)
काफिर हिन्दुओं को इस्लाम की रौशनी देने, और
अपवित्रता से पवित्र करने के लिए जयपाल
की राजधानी लम्घन नामक शहर, जो अपनी महान शक्ति और भरपूर दौलत के लिए विख्यात था, की ओर अग्रसर हुआ।
उसने उसे जीत लिया, और निकट के स्थानों, जिनमें
काफ़िर बसते थे, में आग लगी दी,
मूर्तिधारी मन्दिरों को ध्वंस कर दिया और उनमें
इस्लाम स्थापित कर दिया। वह आगे की ओर बढ़ा और
उसने दूसरे शहरों को जीता और नीच हिन्दुओं का वध
किया; मूर्ति पूजकों का विध्वंस किया और बचे हुओं को इस्लाम में दीक्षित किया।
हिन्दुओं को घायल करने और कत्ल करने के बाद लूटी हुई सम्पत्ति के मूल्य को गिनते
गिनते उसके हाथ ठण्डे पड़ गये। अपनी विजय
को पूरा कर वह लौटा और इस्लाम के लिए प्राप्त
विजयों के विवरण की उसने घोषणा की। हर किसी ने
विजय के परिणामों के प्रति सहमति दिखाई और
आनन्द मनाया और अल्लाह को धन्यवाद दिया।'
(तारीख-ई-यामिनीः महमूद का मंत्री अल-उत्बी अनु.
एलियट और डाउसन खण्ड २ पृष्ठ २२, और तारीख-
ई-सुबुक्त गीन स्वाजा बैहागी अनु. एलियट और
डाउसन खण्ड २)
काफिर हिन्दुओं को इस्लाम की रौशनी देने, और
अपवित्रता से पवित्र करने के लिए जयपाल
की राजधानी लम्घन नामक शहर, जो अपनी महान शक्ति और भरपूर दौलत के लिए विख्यात था, की ओर अग्रसर हुआ।
उसने उसे जीत लिया, और निकट के स्थानों, जिनमें
काफ़िर बसते थे, में आग लगी दी,
मूर्तिधारी मन्दिरों को ध्वंस कर दिया और उनमें
इस्लाम स्थापित कर दिया। वह आगे की ओर बढ़ा और
उसने दूसरे शहरों को जीता और नीच हिन्दुओं का वध
किया; मूर्ति पूजकों का विध्वंस किया और बचे हुओं को इस्लाम में दीक्षित किया।
हिन्दुओं को घायल करने और कत्ल करने के बाद लूटी हुई सम्पत्ति के मूल्य को गिनते
गिनते उसके हाथ ठण्डे पड़ गये। अपनी विजय
को पूरा कर वह लौटा और इस्लाम के लिए प्राप्त
विजयों के विवरण की उसने घोषणा की। हर किसी ने
विजय के परिणामों के प्रति सहमति दिखाई और
आनन्द मनाया और अल्लाह को धन्यवाद दिया।'
(तारीख-ई-यामिनीः महमूद का मंत्री अल-उत्बी अनु.
एलियट और डाउसन खण्ड २ पृष्ठ २२, और तारीख-
ई-सुबुक्त गीन स्वाजा बैहागी अनु. एलियट और
डाउसन खण्ड २)
गज़नी का महमूद (९७७-१०३०)
भारत के विरुद्ध सुल्तान महमूद के जिहाद का वर्णन
उसके प्रधानमंत्री अल-उत्बी द्वारा बड़ी सूक्ष्म
सूचनाओं के साथ भी किया गया है और बाद में एलियट
और डाउसन द्वारा अंग्रेजी में अनुवाद करके अपने
ग्रन्थ, 'दी स्टोरी ऑफ इण्डिया एज़ टोल्ड बाइ इट्स
ओन हिस्टोरियन्स, के खण्ड २ में उपलब्ध
कराया गया है।'
पुरुषपुर (पेशावर) में जिहाद
अल-उत्बी ने लिखा- ' अभी मध्याह भी नहीं हुआ
था कि मुसलमानों ने 'अल्लाह के शत्रु', हिन्दुओं के
विरुद्ध जिहाद किया और उनमें से पन्द्रह हजार को काट
कर कालीन की भाँति भूमि पर
बिछा दिया ताकि शिकारी जंगली जानवर और
पक्षी उन्हें अपने भोजन के रूप में खा सकें। अल्लाह ने
कृपा कर हमें लूट का इतना माल दिलाया है कि वह
गिनती की सभी सीमाओं से परे है यानि कि अनगिनत
है जिसमें पाँच लाख दास, सुन्दर पुरुष और महिलायें हैं।
यह 'महान' और 'शोभनीय' कार्य वृहस्पतिवार मुहर्रम
की आठवी ३९२ हिजरी (२७.११.१००१) को हुआ'
(अल-उत्बी-की तारीख-ई-यामिनी, एलियट और
डाउसन खण्ड पृष्ठ २७)
नन्दना की लूट
अल-उत्बी ने लिखा- 'जब सुल्तान ने हिन्द
को मूर्ति पूजा से मुक्त कर दिया था, और उनके स्थान
पर मस्जिदें खड़ी कर दी थीं, उसके बाद उसने उन
लोगों को, जिनके पास मूर्तियाँ थीं, दण्ड देने
का निश्चय किया। असंखय, असीमित व अतुल लूट के
माल और दासों के साथ सुल्तान लौटा। ये सब इतने
अधिक थे कि इनका मूल्य बहुत घट गया और वे बहुत
सस्ते हो गये; और अपने मूल निवास स्थान में इन
अति सम्माननीय व्यक्तियों को, अपमानित
किया गया कि वे मामूली दूकानदारों के दास बना दिये
गये। किन्तु यह अल्लाह की कृपा ही है उसका उपकार
ही है कि वह अपने पन्थ को सम्मान देता है और गैर-
मुसलमानों को अपमान देता है।'
(उसी पुस्तक में पृष्ठ ३९)
थानेश्वर में (कत्लेआम) नरसंहार
अल-उत्बी लिपि बद्ध करता है- 'इस कारण से
थानेश्वर का सरदार अपने अविश्वास में-अल्लाह
की अस्वीकृति में-उद्धत था। अतः सुल्तान उसके
विरुद्ध अग्रसर हुआ ताकि वह इस्लाम
की वास्तविकता का माप दण्ड स्थापित कर सके और
मूर्ति पूजा का मूलोच्छेदन कर सके। गैर-
मुसलमानों (हिन्दु बौद्ध आदि) का रक्त इस प्रचुरता,अधिकता व बहुलता से बहा कि नदी के पानी का रंग
परिवर्तित हो गया कि और लोग उसे पी न सके।
यदि रात्रि न हुई होती और प्राण बचाकर भागने वाले
हिन्दुओं के भागने के चिह्न भी गायब न हो गये होते
तो न जाने कितने और शत्रुओं का वध हो गया होता। जिन्होंने इस्लाम स्वीकार किया केवल वही जीवित रह पाये।
अल्लाह की कृपा से विजय प्राप्त हुई जिसने
सर्वश्रेष्ठ पन्थ, इस्लाम, की सदैव के लिए
स्थापना की
(उसी पुस्तक में पृष्ठ ४०-४१)
फरिश्ता के मतानुसार, 'मुहम्मद की सेना, गजनी में,
दो लाख बन्दी लाई थी जिसके कारण गजनी एक
भारतीय शहर की भाँति लगता था क्योंकि हर एक
सैनिक अपने साथ अनेकों हिन्दू दास व दासियाँ लाया था।
(फरिश्ता : एलियट और डाउसन - खण्ड I पृष्ठ २८)
सिरासवा में नर संहार
अल-उत्बी आगे लिखता है- 'सुल्तान ने अपने
सैनिकों को तुरन्त आक्रमण करने का आदेश दिया।
परिणामस्वरूप अनेकों गैर-मुसलमान बन्दी बना लिये
गये और मुसलमानों ने लूट के माल की तब तक कोई
चिन्ता नहीं की जब तक उन्होंने अविश्वासियों,
(हिन्दुओं) सूर्य व अग्नि के उपासकों का अनन्त वध
करके अपनी भूख पूरी तरह न बुझा ली। लूट का माल
खोजने के लिए अल्लाह के मित्रों ने पूरे तीन दिनों तक
वध किये हुए अविश्वासियों (हिन्दुओं) के
शवों की तलाशी ली...
बन्दी बनाये गये व्यक्तियों की संख्या का अनुमान इसी तथ्य से
लगाया जा सकता है कि प्रत्येक दास दो से लेकर दस
दिरहम तक में बिका था। बाद में इन्हें गजनी ले
जाया गया और बड़ी दूर-दूर के शहरों से व्यापारी इन्हें
खरीदने आये थे।...गोरे और काले, धनी और निर्धन,
दासता के एक समान बन्धन में, सभी को मिश्रित कर
दिया गया।' हिन्दू औरतों के विक्रय के लिए अलग से बाजार लगाये गये। सुन्दर औरतें अच्छे मूल्य में बिकीं।शेष का वध कर दिया गया।
(अल-उत्बी : एलियट और डाउसन - खण्ड ii पृष्ठ
४९-५०)
अल-बरूनी ने लिखा था- ' महमूद ने
भारती की सम्पन्नता को पूरी तरह विध्वंस कर दिया।
इतना आश्चर्यजनक शोषण व विध्वंस
किया था कि हिन्दू धूल के कणों की भाँति चारों ओर
बिखर गये थे। हिन्दुओं के शव और के कटे हुए अंग-प्रत्यंग नगरों के हर भाग में बिखर जाते थे।'
(अलबरूनी-तारीख-ई-हिन्द अनु. अल्बरुनीज़ इण्डिया,
बाई ऐडवर्ड सचाउ, लन्दन, १९१०)
सोमनाथ की लूट
'सुल्तान ने मन्दिर में विजयपूर्वक प्रवेश किया,
शिवलिंग को टुकड़े-टुकड़े कर तोड़ दिया, जितना हो सका उतनी सम्पत्ति को आधिपत्य में कर
लिया। वह सम्पत्ति अनुमानतः दो करोड़ दिरहम थी।
बाद में मन्दिर का पूर्ण विध्वंस कर, चूरा कर, भूमि में
मिला दिया, शिवलिंग के टुकड़ों को गजनी ले गया,
जिन्हें जामी मस्जिद की सीढ़ियों के लिए प्रयोग किया'
(तारीख-ई-जैम-उल-मासीर, दी स्ट्रगिल फौर ऐम्पायर-
भारतीय विद्या भवन पृष्ठ २०-२१)
भारत के विरुद्ध सुल्तान महमूद के जिहाद का वर्णन
उसके प्रधानमंत्री अल-उत्बी द्वारा बड़ी सूक्ष्म
सूचनाओं के साथ भी किया गया है और बाद में एलियट
और डाउसन द्वारा अंग्रेजी में अनुवाद करके अपने
ग्रन्थ, 'दी स्टोरी ऑफ इण्डिया एज़ टोल्ड बाइ इट्स
ओन हिस्टोरियन्स, के खण्ड २ में उपलब्ध
कराया गया है।'
पुरुषपुर (पेशावर) में जिहाद
अल-उत्बी ने लिखा- ' अभी मध्याह भी नहीं हुआ
था कि मुसलमानों ने 'अल्लाह के शत्रु', हिन्दुओं के
विरुद्ध जिहाद किया और उनमें से पन्द्रह हजार को काट
कर कालीन की भाँति भूमि पर
बिछा दिया ताकि शिकारी जंगली जानवर और
पक्षी उन्हें अपने भोजन के रूप में खा सकें। अल्लाह ने
कृपा कर हमें लूट का इतना माल दिलाया है कि वह
गिनती की सभी सीमाओं से परे है यानि कि अनगिनत
है जिसमें पाँच लाख दास, सुन्दर पुरुष और महिलायें हैं।
यह 'महान' और 'शोभनीय' कार्य वृहस्पतिवार मुहर्रम
की आठवी ३९२ हिजरी (२७.११.१००१) को हुआ'
(अल-उत्बी-की तारीख-ई-यामिनी, एलियट और
डाउसन खण्ड पृष्ठ २७)
नन्दना की लूट
अल-उत्बी ने लिखा- 'जब सुल्तान ने हिन्द
को मूर्ति पूजा से मुक्त कर दिया था, और उनके स्थान
पर मस्जिदें खड़ी कर दी थीं, उसके बाद उसने उन
लोगों को, जिनके पास मूर्तियाँ थीं, दण्ड देने
का निश्चय किया। असंखय, असीमित व अतुल लूट के
माल और दासों के साथ सुल्तान लौटा। ये सब इतने
अधिक थे कि इनका मूल्य बहुत घट गया और वे बहुत
सस्ते हो गये; और अपने मूल निवास स्थान में इन
अति सम्माननीय व्यक्तियों को, अपमानित
किया गया कि वे मामूली दूकानदारों के दास बना दिये
गये। किन्तु यह अल्लाह की कृपा ही है उसका उपकार
ही है कि वह अपने पन्थ को सम्मान देता है और गैर-
मुसलमानों को अपमान देता है।'
(उसी पुस्तक में पृष्ठ ३९)
थानेश्वर में (कत्लेआम) नरसंहार
अल-उत्बी लिपि बद्ध करता है- 'इस कारण से
थानेश्वर का सरदार अपने अविश्वास में-अल्लाह
की अस्वीकृति में-उद्धत था। अतः सुल्तान उसके
विरुद्ध अग्रसर हुआ ताकि वह इस्लाम
की वास्तविकता का माप दण्ड स्थापित कर सके और
मूर्ति पूजा का मूलोच्छेदन कर सके। गैर-
मुसलमानों (हिन्दु बौद्ध आदि) का रक्त इस प्रचुरता,अधिकता व बहुलता से बहा कि नदी के पानी का रंग
परिवर्तित हो गया कि और लोग उसे पी न सके।
यदि रात्रि न हुई होती और प्राण बचाकर भागने वाले
हिन्दुओं के भागने के चिह्न भी गायब न हो गये होते
तो न जाने कितने और शत्रुओं का वध हो गया होता। जिन्होंने इस्लाम स्वीकार किया केवल वही जीवित रह पाये।
अल्लाह की कृपा से विजय प्राप्त हुई जिसने
सर्वश्रेष्ठ पन्थ, इस्लाम, की सदैव के लिए
स्थापना की
(उसी पुस्तक में पृष्ठ ४०-४१)
फरिश्ता के मतानुसार, 'मुहम्मद की सेना, गजनी में,
दो लाख बन्दी लाई थी जिसके कारण गजनी एक
भारतीय शहर की भाँति लगता था क्योंकि हर एक
सैनिक अपने साथ अनेकों हिन्दू दास व दासियाँ लाया था।
(फरिश्ता : एलियट और डाउसन - खण्ड I पृष्ठ २८)
सिरासवा में नर संहार
अल-उत्बी आगे लिखता है- 'सुल्तान ने अपने
सैनिकों को तुरन्त आक्रमण करने का आदेश दिया।
परिणामस्वरूप अनेकों गैर-मुसलमान बन्दी बना लिये
गये और मुसलमानों ने लूट के माल की तब तक कोई
चिन्ता नहीं की जब तक उन्होंने अविश्वासियों,
(हिन्दुओं) सूर्य व अग्नि के उपासकों का अनन्त वध
करके अपनी भूख पूरी तरह न बुझा ली। लूट का माल
खोजने के लिए अल्लाह के मित्रों ने पूरे तीन दिनों तक
वध किये हुए अविश्वासियों (हिन्दुओं) के
शवों की तलाशी ली...
बन्दी बनाये गये व्यक्तियों की संख्या का अनुमान इसी तथ्य से
लगाया जा सकता है कि प्रत्येक दास दो से लेकर दस
दिरहम तक में बिका था। बाद में इन्हें गजनी ले
जाया गया और बड़ी दूर-दूर के शहरों से व्यापारी इन्हें
खरीदने आये थे।...गोरे और काले, धनी और निर्धन,
दासता के एक समान बन्धन में, सभी को मिश्रित कर
दिया गया।' हिन्दू औरतों के विक्रय के लिए अलग से बाजार लगाये गये। सुन्दर औरतें अच्छे मूल्य में बिकीं।शेष का वध कर दिया गया।
(अल-उत्बी : एलियट और डाउसन - खण्ड ii पृष्ठ
४९-५०)
अल-बरूनी ने लिखा था- ' महमूद ने
भारती की सम्पन्नता को पूरी तरह विध्वंस कर दिया।
इतना आश्चर्यजनक शोषण व विध्वंस
किया था कि हिन्दू धूल के कणों की भाँति चारों ओर
बिखर गये थे। हिन्दुओं के शव और के कटे हुए अंग-प्रत्यंग नगरों के हर भाग में बिखर जाते थे।'
(अलबरूनी-तारीख-ई-हिन्द अनु. अल्बरुनीज़ इण्डिया,
बाई ऐडवर्ड सचाउ, लन्दन, १९१०)
सोमनाथ की लूट
'सुल्तान ने मन्दिर में विजयपूर्वक प्रवेश किया,
शिवलिंग को टुकड़े-टुकड़े कर तोड़ दिया, जितना हो सका उतनी सम्पत्ति को आधिपत्य में कर
लिया। वह सम्पत्ति अनुमानतः दो करोड़ दिरहम थी।
बाद में मन्दिर का पूर्ण विध्वंस कर, चूरा कर, भूमि में
मिला दिया, शिवलिंग के टुकड़ों को गजनी ले गया,
जिन्हें जामी मस्जिद की सीढ़ियों के लिए प्रयोग किया'
(तारीख-ई-जैम-उल-मासीर, दी स्ट्रगिल फौर ऐम्पायर-
भारतीय विद्या भवन पृष्ठ २०-२१)
मुहम्मद गौरी (११७३-१२०६)
हसन निज़ामी ने अपने ऐतिहासिक लेख, 'ताज-उल-
मासीर', में मुहम्मद गौरी के द्वारा भारत के विजय का विस्तृत वर्णन
किया है।
हसन निज़ामी ने लिखा ' कि इस्लाम के दायित्वों के निर्वाह के लिए
जैसा वीर पुरुष चाहिए वह, सुल्तानों के सुल्तान मुहम्मद गौरी के शासन में उपलब्ध हुआ; और उसे
अल्लाह ने उस समय के राजाओं और शहंशाहों में से
छांटा था, 'क्योंकि उसने अपने आपको इस्लाम के शत्रुओं
के सम्पूर्ण विनाश के लिए नियुक्त
किया था। उसने हिन्दुओं के हदयों के रक्त से भारत
भूमि को इतना भर दिया था, कि कयामत के दिन तक
यात्रियों को नाव में बैठकर उस गाढ़े खून की भरपूर
नदी को पार करना पड़ेगा। उसने जिस किले पर
आक्रमण किया उसे जीत लिया, मिट्टी में
मिला दिया और उस (किले) की नींव व
खम्मों को हाथियों के पैरों के नीचे रोंद कर भस्मसात
कर दिया; और मूर्ति पूजकों के सारे विश्व
को अपनी अच्छी धार वाली तलवार से काट कर नर्क
की अग्नि में झोंक दिया; मन्दिरों, मूर्तियों व
आकृतियों के स्थान पर मस्जिदें बना दी।'
(ताज-उल-मासीर : हसन निजामी, अनु. एलियट और
डाउसन, खण्ड II पृष्ठ २०९)
अजमेर पर इस्लाम की बलात् स्थापना
हसन निजामी ने लिखा था- 'इस्लाम
की सेना पूरी तरह विजयी हुई और एक लाख हिन्दू
तेजी के साथ नरक की अग्नि में चले गये...इस विजय
के बाद इस्लाम की सेना आगे अजमेर की ओर चल
दी जहाँ हमें लूट में इतना माल व सम्पत्ति मिले
कि समुद्र के रहस्यमयी कोषागार और पहाड़ एकाकार
हो गये।
'जब तक सुल्तान अजमेर में रहा उसने
मन्दिरों का विध्वंस किया और उनके स्थानों पर
मस्जिदें बनवाईं।'
(उसी पुस्तक में पृष्ठ २१५)
देहली में मन्दिरों का ध्वंस
हसन निजामी ने आगे लिखा-' विजेता ने दिल्ली में
प्रवेश किया जो धन सम्पत्ति का केन्द्र है और
आशीर्वादों की नींव है। शहर और उसके आसपास के
क्षेत्रों को मन्दिरों और मूर्तियों से
तथा मूर्ति पूजकों से मुक्त
बना दिया यानि कि सभी का पूर्ण विध्वंस कर दिया।
एक अल्लाह के पूजकों (मुसलमानों) ने मन्दिरों के
स्थानों पर मस्जिदें खड़ी करवा दीं।'
(वही पुस्तक पृष्ठ २२२)
वाराणसी का विध्वंस
'उस स्थान से आगे शाही सेना बनारस की ओर
चली जो भारत की आत्मा है और यहाँ उन्होंने एक
हजार मन्दिरों का ध्वंस किया तथा उनकी नीवों के
स्थानों पर मस्जिदें बनवा दीं; इस्लामी पंथ के केन्द्र
की नींव रखी।'
(वही पुस्तक पृष्ठ २२३)
हिन्दुओं के सामूहिक वध के विषय में हसन
निजामी आगे लिखता है, ' तलवार की धार से हिन्दुओं
को नर्क की आग में झोंक दिया गया। उनके सिरों से
आसमान तक ऊंचे तीन बुर्ज बनाये गये, और उनके
शवों को जंगली पशुओं और पक्षियों के भोजन के लिए
छोड़ दिया गया।'
(वही पुस्तक पृष्ठ २९८)
इस सम्बन्ध में मिन्हाज़-उज़-सिराज़ ने
लिखा था- 'दुर्गरक्षकों में से जो बुद्धिमान एवं कुशाग्र
बुद्धि के थे, उन्हें धर्मान्तरण कर मुसलमान
बना लिया किन्तु जो अपने पूर्व धर्म पर आरूढ़ रहे,
उन्हें वध कर दिया गया। '
(तबाकत-ई-नसीरी-मिन्हाज़, अनु. एलियट और
डाउसन, खण्ड II पृष्ठ २२८)
गुजरात में गाज़ी लोग (११९७)
गुज़रात की विजय के विषय में हसन निजामी ने लिखा-
' अधिकांश हिन्दुओं को बन्दी बना लिया गया और
लगभग पचास हजार को तलवार द्वारा वध कर नर्क
भेज दिया गया, और कटे हुए शव इतने थे कि मैदान
और पहाड़ियाँ एकाकार हो गईं। बीस हजार से अधिक
हिन्दू, जिनमें अधिकांश महिलायें ही थीं, विजेताओं के
हाथ दास बन गये।
(वही पुस्तक पृष्ठ २३०)
देहली का पवित्रीकरण व इस्लामीकरण
'तब सुल्तान देहली वापिस लौटा उसे हिन्दुओं ने
अपनी हार के बाद पुनः जीत लिया था। उसके आगमन
के बाद मूर्ति युक्त मन्दिर का कोई अवशेष व नाम न
बचा। अविश्वास के अन्धकार के स्थान पर पंथ
(इस्लाम) का प्रकाश जगमगाने लगा।'
(वही पुस्तक पृष्ठ २३८-३९)
हसन निज़ामी ने अपने ऐतिहासिक लेख, 'ताज-उल-
मासीर', में मुहम्मद गौरी के द्वारा भारत के विजय का विस्तृत वर्णन
किया है।
हसन निज़ामी ने लिखा ' कि इस्लाम के दायित्वों के निर्वाह के लिए
जैसा वीर पुरुष चाहिए वह, सुल्तानों के सुल्तान मुहम्मद गौरी के शासन में उपलब्ध हुआ; और उसे
अल्लाह ने उस समय के राजाओं और शहंशाहों में से
छांटा था, 'क्योंकि उसने अपने आपको इस्लाम के शत्रुओं
के सम्पूर्ण विनाश के लिए नियुक्त
किया था। उसने हिन्दुओं के हदयों के रक्त से भारत
भूमि को इतना भर दिया था, कि कयामत के दिन तक
यात्रियों को नाव में बैठकर उस गाढ़े खून की भरपूर
नदी को पार करना पड़ेगा। उसने जिस किले पर
आक्रमण किया उसे जीत लिया, मिट्टी में
मिला दिया और उस (किले) की नींव व
खम्मों को हाथियों के पैरों के नीचे रोंद कर भस्मसात
कर दिया; और मूर्ति पूजकों के सारे विश्व
को अपनी अच्छी धार वाली तलवार से काट कर नर्क
की अग्नि में झोंक दिया; मन्दिरों, मूर्तियों व
आकृतियों के स्थान पर मस्जिदें बना दी।'
(ताज-उल-मासीर : हसन निजामी, अनु. एलियट और
डाउसन, खण्ड II पृष्ठ २०९)
अजमेर पर इस्लाम की बलात् स्थापना
हसन निजामी ने लिखा था- 'इस्लाम
की सेना पूरी तरह विजयी हुई और एक लाख हिन्दू
तेजी के साथ नरक की अग्नि में चले गये...इस विजय
के बाद इस्लाम की सेना आगे अजमेर की ओर चल
दी जहाँ हमें लूट में इतना माल व सम्पत्ति मिले
कि समुद्र के रहस्यमयी कोषागार और पहाड़ एकाकार
हो गये।
'जब तक सुल्तान अजमेर में रहा उसने
मन्दिरों का विध्वंस किया और उनके स्थानों पर
मस्जिदें बनवाईं।'
(उसी पुस्तक में पृष्ठ २१५)
देहली में मन्दिरों का ध्वंस
हसन निजामी ने आगे लिखा-' विजेता ने दिल्ली में
प्रवेश किया जो धन सम्पत्ति का केन्द्र है और
आशीर्वादों की नींव है। शहर और उसके आसपास के
क्षेत्रों को मन्दिरों और मूर्तियों से
तथा मूर्ति पूजकों से मुक्त
बना दिया यानि कि सभी का पूर्ण विध्वंस कर दिया।
एक अल्लाह के पूजकों (मुसलमानों) ने मन्दिरों के
स्थानों पर मस्जिदें खड़ी करवा दीं।'
(वही पुस्तक पृष्ठ २२२)
वाराणसी का विध्वंस
'उस स्थान से आगे शाही सेना बनारस की ओर
चली जो भारत की आत्मा है और यहाँ उन्होंने एक
हजार मन्दिरों का ध्वंस किया तथा उनकी नीवों के
स्थानों पर मस्जिदें बनवा दीं; इस्लामी पंथ के केन्द्र
की नींव रखी।'
(वही पुस्तक पृष्ठ २२३)
हिन्दुओं के सामूहिक वध के विषय में हसन
निजामी आगे लिखता है, ' तलवार की धार से हिन्दुओं
को नर्क की आग में झोंक दिया गया। उनके सिरों से
आसमान तक ऊंचे तीन बुर्ज बनाये गये, और उनके
शवों को जंगली पशुओं और पक्षियों के भोजन के लिए
छोड़ दिया गया।'
(वही पुस्तक पृष्ठ २९८)
इस सम्बन्ध में मिन्हाज़-उज़-सिराज़ ने
लिखा था- 'दुर्गरक्षकों में से जो बुद्धिमान एवं कुशाग्र
बुद्धि के थे, उन्हें धर्मान्तरण कर मुसलमान
बना लिया किन्तु जो अपने पूर्व धर्म पर आरूढ़ रहे,
उन्हें वध कर दिया गया। '
(तबाकत-ई-नसीरी-मिन्हाज़, अनु. एलियट और
डाउसन, खण्ड II पृष्ठ २२८)
गुजरात में गाज़ी लोग (११९७)
गुज़रात की विजय के विषय में हसन निजामी ने लिखा-
' अधिकांश हिन्दुओं को बन्दी बना लिया गया और
लगभग पचास हजार को तलवार द्वारा वध कर नर्क
भेज दिया गया, और कटे हुए शव इतने थे कि मैदान
और पहाड़ियाँ एकाकार हो गईं। बीस हजार से अधिक
हिन्दू, जिनमें अधिकांश महिलायें ही थीं, विजेताओं के
हाथ दास बन गये।
(वही पुस्तक पृष्ठ २३०)
देहली का पवित्रीकरण व इस्लामीकरण
'तब सुल्तान देहली वापिस लौटा उसे हिन्दुओं ने
अपनी हार के बाद पुनः जीत लिया था। उसके आगमन
के बाद मूर्ति युक्त मन्दिर का कोई अवशेष व नाम न
बचा। अविश्वास के अन्धकार के स्थान पर पंथ
(इस्लाम) का प्रकाश जगमगाने लगा।'
(वही पुस्तक पृष्ठ २३८-३९)
इस्लामी शैतानों की सूची बहुत लम्बी होने के कारण प्रथम भाग में केवल इतना ही। अत्याचार एवं धर्मान्तरण की कथा को इससे अधिक संक्षिप्त नहीं किया जा सका।
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